इस संबंध में सभी राज्यों के केंद्रीय जीएसटी टीम को अलर्ट कर दिया गया है। स्टील उत्पादक राज्यों में छत्तीसगढ़ का नाम सबसे पहले नंबर पर शामिल हैं, लिहाजा टैक्स चोरी करने के लिए प्रदेश के कई छोटे-बड़े सभी स्टील, लोहा कारोबारियों ने फर्जी बिलों का सहारा लिया। केंद्रीय जीएसटी टीम की जांच में आने वाले दिनों में और भी कई खुलासे हो सकते हैं। अभी टीम लेन-देन के दस्तावेजों की जांच कर रही है।
इंटेलिजेंस टीम ने 141 करोड़ रुपए का फर्जी बिल घोटाला छत्तीसगढ़ में उजागर किया है, लेकिन इन सबके बीच केंद्रीय व राज्य जीएसटी पर सवाल उठना लाजिमी है कि आखिरकार इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ कैसे? जीएसटी में ऑनलाइन रिटर्न की जांच-पड़ताल में तुरंत गलतियां पकड़ में आती है, लेकिन रायपुर में आरोपी पकड़ में तब आए जब फर्जी खरीदी-बिक्री में कानूनी रूप से 21 करोड़ों का आइटीसी हासिल कर लिया गया।
लेन-देन दिखाया, लेकिन पासबुक में एंट्री नहीं
जांच में अधिकारियों की टीम ने कई पार्टियों के बैंक खाते को खंगाला, जिसमें पता चला कि खरीदी-बिक्री का भुगतान पार्टियों को नहीं किया गया। बल्कि बिल बुक में पार्टियों के नाम पर कई चेक फाड़े गए। बैंकों में जब अलग-अलग पार्टियों के बीच लेन-देन का कोई रेकॉर्ड नहीं मिला। इसके जरिए भी टीम को अहम सुराग हाथ लगे।
जीएसटी चोरी के मामले में कुछ और कंपनियों के नाम सामने आए हैं। इनमें समता आर्केड स्थित मेसर्स हनुमान स्टील्स, मेसर्स कपीश्वर स्टील्स ओजस्वी कॉर्पोरेशन और श्री रिफ्रेक्ट्री शामिल हैं। इन कंपनियों के मालिकों ने जीएसटी चोरी करना स्वीकार किया है। साथ ही विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के बाद कुछ व्यापारियों ने टैक्स जमा करना शुरू कर दिया है।