OPS vs NPS in CG: विकल्प न चुनने पर कर्मियों का रुकेगा वेतन, इधर, फेडरेशन ने एक महीने का समय बढ़ाने की लगाई गुहार
OPS vs NPS in CG: छत्तीसगढ़ में नई (new pension scheme) और पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) के भ्रम के बीच प्रदेश के करीब 2.50 लाख कर्मचारियों को हर हाल में 20 फरवरी से पहले दोनों में से एक योजना चुनकर अपना विकल्प बताना होगा, जो कर्मचारी तय समय पर एक योजना का विकल्प नहीं बताएंगे, तो उन्हें मार्च में वेतन नहीं मिलेगा।
इसे लेकर जिले के कलेक्टरों ने फरमान जारी कर दिया है। वहीं दूसरी और छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने विकल्प चयन की अवधि एक महीने बढ़ाने के लिए संचालक पेंशन को ज्ञापन सौंपा है। इसमें साफ कहा गया है कि प्रदेशभर के कर्मचारी एक विकल्प देने का निर्णय नहीं कर पा रहे हैं और वो भ्रमित हैं।
10 रुपए के स्टाम्प में देना होगा विकल्प
वित्त विभाग के आदेश के मुताबिक 1 नवम्बर 2004 को अथवा उसके बाद 31 मार्च 2022 तक नियुक्त समस्त कर्मचारियों को नई और पुरानी पेंशन योजना में से किसी एक योजना चुनने का विकल्प देना होगा। खास बात यह है कि सरकार भविष्य में होने वाले विवाद से बचने के लिए कर्मचारियों से 10 रुपए के स्टाम्प पेपर में विकल्प ले रही है। साथ ही सरकार ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि एक बार विकल्प देने के बाद इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं हो पाएगा।
आज से शुरू होगा कार्यशाला का सिलसिला
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा और प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी ने बताया कि उनकी मांग के आधार पर वित्त विभाग के अधिकारी नई और पुरानी पेंशन योजना को लेकर मार्गदर्शन देंगे। वर्मा ने बताया कि 9 फरवरी को नवा रायपुर के इंद्रावती भवन में एक कार्यशाला होगी। इसमें वित्त विभाग के अधिकारियों के चर्चा कर सभी शंकाओं के समाधान का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद जिलों में इसकी जानकारी दी जाएगी। इससे कर्मचारियों को एक विकल्प का चयन करने में आसानी होगी। वहीं चटर्जी ने बताया कि इस तरह की कार्यशाला हर जिलों में की जा रही है, ताकि विकल्प चुनने में आसानी हो। इसमें अधिकारियों को यह बताना चाहिए कि विकल्प किसे भरने हैं और आगे दोनों विकल्पों से क्या लाभ और नुकसान होगा।
62 हजार कर्मी पुरानी पेंशन योजना के दायरे में
बताया जाता है कि प्रदेश के 62 हजार 700 कर्मचारी ऐसे हैं, जो पुरानी पेंशन योजना के दायरे में ही रहेंगे। यानी इन कर्मचारियों को कोई विकल्प नहीं देना होगा। वहीं अप्रैल 2022 के बाद नियुक्ति हुए सभी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के दायरे में आएंगे। इनकी संख्या करीब 7 हजार बताई जाती है।
ओपीएस-एनपीएस में बड़े अंतर
एनपीएस में कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत (बेसिक+डीए) की कटौती होती है।
एनपीएस में जीपीएफ की सुविधा नहीं है।
एनपीएस शेयर बाजार आधारित है, बाजार की चाल के आधार पर ही भुगतान।
एनपीएस में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं।
एनपीएस में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है।
केंद्र से टकराव के बाद बनी स्थिति
केंद्र और राज्य सरकार के टकराव की वजह से नई और पुरानी पेंशन योजना की स्थिति बनी है। दरअसल, कर्मचारियों की मांग पर राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया था। इसके बाद राज्य ने केंद्र सरकार से नवीन अंशदायी पेंशन योजना के खाते में जमा करीब 17 हजार करोड़ रुपए देने की मांग की। केंद्र ने राज्य की मांग को खारिज कर दिया। इसके बाद सरकार ने नई और पुरानी पेंशन योजना का विकल्प तैयार कर प्रदेश में दोनों योजना चलाने का फैसला लिया है।