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पंच कल्याणक महोत्सव: माता सुव्रता की कोख में आए भगवान धर्मनाथ, पूजा करने पहुंचे देवराज इंद्र सहित देवी-देवता

साइंस कॉलेज मैदान में परमात्मा के च्यवन कल्याणक का मंचनगुजरात, महाराष्ट्र से आए कोरियोग्राफर की देखरेख में हो रहा है यह मंचन

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पंच कल्याणक महोत्सव: रायपुर. जैन समाज इन दिनों एमजी रोड में नई दादाबाड़ी और धर्मनाथ जिनालय तैयार होने की खुशियों में डुबा हुआ है। इसके तहत साइंस कॉलेज मैदान में तकरीबन 85 हजार वर्गफीट का पंडाल तैयार कर रत्नपुरी नगरी सजाई गई है। रविवार को यहां जैन धर्म के 15वें तीर्थंकर धर्मनाथ का च्यवन कल्याणक मनाया गया। सोमवार को दादाबाड़ी में जन्म कल्याणक महोत्सव विधान सुबह 5.30 बजे शुरू हुआ । गुरु भगवंतों के मांगलिक प्रवचन के बाद जन्म कल्याणक का रत्नपुरी नगरी में 10 बजे से नाट्य मंचन किया गया । परमात्मा का जन्म महोत्सव एवं स्नात्र महोत्सव सकल संघ के सन्मुख मनाया जाना है । यह सारा नाट्य मंचन रायपुर जैन समाज के श्रावक-श्राविकाओं द्वारा होगा । 100 लोग सजोड़े इंद्र का रूप लेकर परमात्मा का स्नात्र अभिषेक करेंगे। दोपहर 2.30 बजे दीक्षार्थियों को डोरा बांधना, केसर छांटना (वस्त्र रंगना) ओढ़ी सजाना, जिन मंदिर में संध्याभक्ति, आरती व मंगलदीपक व रत्नपुरी नगरी में शब्द से निशब्द की यात्रा की प्रस्तुति दी जाएगी।

इसके तहत नाटक के जरिए यह बताया गया कि कैसे भगवान धर्मनाथ ने रत्नपुरी नगर के राजा भानु की पत्नी महारानी सुव्रता की गर्भ में प्रवेश किया। इसके बाद कैसे देवराज इंद्र, इंद्राणी समेत सभी देवी-देवता माता और उनके गर्भ में पल रहे भगवान की पूजा करने के लिए धरती पर आए। इस नाटक को 150 से ज्यादा कलाकारों ने प्रस्तुत किया। रायपुर के इतिहास में पहले शायद ही कभी इस तरह से भगवान के जन्म का मंचन किया गया होगा। यही वजह है कि इस ऐतिहासिक महोत्सव का साक्षी बनने के लिए न केवल प्रदेश या देश, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु रायपुर पहुंचे हैं। इससे पहले सुबह 5.30 बजे नवनिर्मित जिनालय में धार्मिक विधि-विधान के साथ भगवान का च्यवन कल्याणक महोत्सव मनाया गया।

गर्भवती होने के दौरान माताएं जो सपनें देखती हैं, उनका फल बताया
इस नाट्य मंचन में परमात्मा के च्यवन का विधान इंद्राणी द्वारा किया गया और वे परमात्मा के च्यवन के पश्चात परमात्मा के शासन के अनुरूप कार्य करने एक धर्म सारथी बनकर अपने इंद्र राजा को सदैव परमात्मा की भक्ति में लगने हेतु प्रेरित करती हैं। इसकी महिमा यह बताई गई कि गर्भवती माताओं को इन स्वप्नों के सार श्रवण से सुंदर एवं तेजस्वी रत्नों के रूप में संतान की प्राप्ति होती है।

रत्नपुरी नगरी में स्टेज प्रोग्राम के तहत गुजरात एवं महाराष्ट्र से आए हुए कोरियोग्राफर के निर्देशन में रायपुर जैन समाज के सदस्यों ने विशाल मंच पर इस कल्याणक का नाट्य मंचन किया। पूरे छत्तीसगढ़ का जैन समाज आज इस महोत्सव में शामिल होने उमड़ पड़ा था। परमात्मा का च्यवन कल्याणक विधान शुरू होने के साथ परमात्मा च्यवन कर माता सुव्रता की कोख में आए। फिर माता ने 14 महामंगलकारी स्वप्न के दर्शन किए। इंद्र का सिंहासन कंपायमान होना, शुभ स्वप्नों का फल बताना आदि नाट्य का मंचन बहुत ही अद्भुत रूप से कलाकारों द्वारा किया गया।

प्रभु का कल्याणक देख लिया, फिर कहीं नहीं देखना चाहिए: जिनमणि
गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सागर ने अपने हितोपदेश में बताया कि परमात्मा सारे जगत का कल्याण करे। कल्याणक प्रभु के हर कल्याणक के क्षणों में इतना प्रचुर योग बल प्रकट होता है कि सारा विश्व ही आलोकित-आल्हादित हो उठता है। यहां तक कि नारकीय में भी बिना निम्मित के ही सुखों को प्राप्त करता है। गुरु भगवंत ने बताया कि जैसे भगवान ने सूरदास को प्रकट होकर दर्शन दिए और बोला कि जो इच्छा हो मांग लें तो सूरदास ने कहा कि आपको देख लिया, अब इस संसार में मुझे और कुछ नहीं देखना है। आप मुझे पहले जैसा कर दें। वैसे ही हमें भी जब परमात्मा का कल्याणक देखने का अवसर मिल गया, फिर हमें संसार में और कहीं नहीं देखना चाहिए।