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किसानों से लूट.. 199 रुपए किलो वाला बीज 296 रुपए में खरीद रहे, पत्रिका ने किया पर्दाफाश

Patrika Breaking: मक्का बीज खरीदी में भारी गड़बड़ी सामने आई है। पत्रिका ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि 199 रुपए किलो वाला बीज 296 रुपए में खरीद रहे…

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CG News

मक्का बीज प्र​तीकात्मक फोटो

Patrika Breaking: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मक्का बीज की खरीदी हो रही है। इसमें भारी गड़बड़ी है। कृषि विभाग की ओर से खरीफ सीजन के लिए मक्का बीज की खरीदी होनी है। जिस मक्का बीज को राष्ट्रीय बीज निगम किसानों को 199 रुपए प्रति किलो की दर से उपलब्ध करवा रहा है, वहीं बीज एक निजी कंपनी से 296 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है। इस तरह प्रति किलो कंपनी 97 रुपए अधिक वसूल रही है। गुजरात की कर्णावती सीड्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ प्रदेश में मक्के की वैरायटी डीएमआरएच-1308 के बीज उपलब्ध करवाने के लिए जैम पोर्टल के माध्यम से रेट कॉन्ट्रेक्ट किया गया है। कंपनी जो बीज का पैकेट बेच रही है, उसका वजन 4 कलो है और रेट 1184 रुपए प्रति पैकेट है।

Patrika Breaking: लाइसेंस और पते में भी गड़बड़ी

बीज कंपनी ने लाइसेंस के लिए स्टोरेज का जो पता अपने दस्तावेज़ों में दिया है, वहां उसका कोई वास्तविक कार्यालय मौजूद नहीं है। लाइसेंस में कंपनी के स्टोरेज का पता बताया गया है कर्णावती सीड्स प्राइवेट लिमिटेड, मुस्कान एग्री केयर, रिंग रोड नं.-2, दुर्गा पेट्रोल पंप के सामने, भनपुरी, रायपुर। यहां इस नाम से कोई कार्यालय नहीं है। इसका खुलासा विभागीय सूत्रों और मौके पर जाने पर हुआ।

महीनेभर पहले लाइसेंस, कॉन्ट्रेक्ट उससे भी पहले

दस्तावेजों के अनुसार, कर्णावती सीड्स प्राइवेट लिमिटेड को 15 अक्टूबर 2025 को बीज वैरायटी डीएमआरएच-1308 के लिए लाइसेंस मिला। जबकि खरीदी के लिए नवंबर 2025 में टेंडर जारी हुए। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि महीनेभर पहले जिस कंपनी को लाइसेंस मिला, उसे कई जिलों के कृषि कार्यालयों से बड़े-बड़े ऑर्डर कैसे मिल गए। इतना ही नहीं, कंपनी ने मार्च में ही भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के साथ एमओयू करने का दस्तावेज पेश किया है। कंपनी ने बिना लाइसेंस ही एमओयू कर लिया और अधिकारियों ने वर्क ऑर्डर जारी कर दिया। ऐसे में अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं।

वर्क ऑर्डर बता रहे हैं मिलीभगत

मक्का बीज खरीदने के लिए अलग-अलग जिलों से जो ऑर्डर जारी हुए हैं, वे कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

  • मंगेली, बेमेतरा, सरायपाली, सारंगढ़-बिलाईगढ़ सहित कई जिलों ने एक ही कंपनी को लगभग एक जैसी कीमत पर भारी मात्रा में बीज खरीदने का ऑर्डर जारी कर दिया।
  • एक जिले का ऑर्डर जेनरेट होता है और कुछ समय बाद अन्य जिलों में भी उसी मॉडल नंबर, उसी दर, उसी पैकेट साइज का ऑर्डर जारी हो जाता है।
  • कंपनी के पास सीड डीलर लाइसेंस नहीं है, जबकि सरकारी खरीदी में यह अनिवार्य है। इसके बावजूद करोड़ों की खरीद होती है, जो सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन है।
  • कई वर्क ऑर्डर में अतिरिक्त टर्म एंड कंडीशन, टेस्ट रिपोर्ट और वैराइटी प्रमाणन का उल्लेख नहीं है, जो आवश्यक दस्तावेज़ माने जाते हैं।

टेंडर में खेल, दो कंपनियों के पास पूरे दस्तावेज नहीं

मक्का बीज सप्लाई के लिए जैस से जारी टेंडर में जो तीन कंपनियां शामिल हुईं, उनमें से दो के पास तो पूरे दस्तावेज भी नहीं थे। इसके बाद भी प्रक्रिया मान्य किया गया। टेंडर में कर्णावती सीड्स प्राइवेट लिमिटेड के अलावा महालक्ष्मी सीड्स प्राइवेट लिमिटेड और फार्म इंफोर्मेटिक्स शामिल हुई। तीनों में सिर्फ कर्णावती के पास डीएमआरएच-1308 बीज का एमओयू है। बाकी दो फर्म ओईएम हो सकती है और न टेंडर में क्वालिफाई कर सकती है। जबकि टेंडर प्रक्रिया में कम से कम तीन फर्म की जरूरत को पूरा करने के लिए इन्हें क्वालिफाई करवाया गया।

कृषि मंत्री, रामविचार नेताम ने कहा कि मक्का बीज अधिक रेट पर खरीदने की जानकारी नहीं है। विभाग जो भी खरीदी करता है, परीक्षण के बाद ही करता है। नियमों के तहत ही किया गया होगा।