
रायपुर . रिश्वत लेते और आय से अधिक संपत्ति के मामले में राज्य सरकार से पिछले 2 वर्ष में 48 लोगों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिली है। इसमें संवाद के पूर्व सीईओ एवं संयुक्त सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो और रिटायर्ड आईएफएस एएच कपासी का नाम प्रमुख है। इन सभी के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है।
ईओडब्ल्यू एवं एसीबी के प्रमुख शेख आरिफ हुसैन ने बताया कि कार्रवाई करने के बाद पूरे मामले की विवेचना की जाती है। इसके पूरा होने पर संबंधित विभाग को अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। इसके मिलते ही चालान पेश कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले 2 वर्ष में 48 लोगों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिली है।
सिंचाई विभाग में पेंच अटका
भ्रष्टाचार के मामले में 9 सिंचाई विभाग के अफसरों के अभियोजन स्वीकृति को लेकर पेंच अटका हुआ है। बताया जाता है कि 1996 में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन ईई कांकेर केके वशिष्ठ, रामशरण श्रीवास्तव सब इंजीनियर, दीपक पाठक, सब इंजीनियर, बलदाऊ चंद्राकर एसडीओ, नटवरलाल अग्रवाल एसडीओ, राजेन्द्र कुमार जैन सब इंजीनियर, अशोक कुमार वर्मा सब इंजीनियर, अशोक कुमार गजभिये सब इंजीनियर, सीआर साहू सब इंजीनियर के खिलाफ वर्ष-96 में भ्रष्टाचार, और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में पहले सिंचाई विभाग से अभिमत स्वीकृति दी गई थी। लेकिन, बाद में विभाग ने असहमति का पत्र जारी कर दिया। इस पूरे मामले में जांच एजेंसी ने विधि विभाग से अभिमत मांगा है।
राज्य सेवा के अफसर
भ्रष्टाचार के मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर केपी देवांगन, पंचायत विभाग के अफसर अशोक चतुर्वेदी, और उनकी पत्नी ज्योति चतुर्वेदी, के साथ ही आकांक्षा मेमन पटवारी बेमेतरा, सत्यप्रकाश मधुकर उप अभियंता नगर पंचायत मुंगेली, समुद्र सिंह ओएसडी आबकारी विभाग, अजय कुमार कांवरे रेंजर सुकमा, सुरेश कुर्रे श्रम निरीक्षक जशपुर, देवेश कुमार बघेल डिप्टी डायरेक्टर नगर निवेश जगदलपुर, केपी देवांगन तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत कांकेर, राकेश वर्मा तत्कालीन सहायक परियोजना अधिकारी, और देवनारायण साहू तत्कालीन सहायक संचालक उद्यान, रेखा नायर सुबेदार ईओडब्ल्यू, बीआर कैवत्र्य स्कूल शिक्षा सहित लिपिक से लेकर पटवारी और अन्य शामिल है।
Published on:
06 Aug 2021 01:57 pm
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