
हरेली के दिन गेड़ी चढ़ने की परंपरा निभाई जाती है। बच्चे बांस से गेड़ी का निर्माण करते हैं।

गेड़ी चढ़कर बच्चे और युवा दौड़ लगाते हैं। युवकों को गेड़ी चढ़ते देखा गया।

हरेली के मौके पर बारंबार गेड़ी चढ़कर सावन मास के उत्साह को जाहिर किया जाता है।

कहीं कहीं नारियल फेंक प्रतियोगिता हुई। कई जगह अन्य प्रतियोगिताएं भी हुईं। राजधानी के भाठागांव, डूमरतालाब, चंदनीडीह, मठपुरैना, अमलीडीह व अन्य क्षेत्र में बच्चों और युवकों को गेड़ी चढ़ते देखा गया।

गेड़ी पर चढ़कर चलते हैं। सीसी रोड से पहले के दिनों में जब ग्रामीण सड़कें मानसून की उफान में कीचड़ में तब्दील हो जाती थीं तब गेड़ी सबसे सुरक्षित जरिया होता था ताकि कीचड़ से बच सकें।