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गायब होने के तीन दिन बाद दर्ज हुआ उद्योगपति के किडनैपिंग का केस, घटना की जगह भी नहीं ढूंढ पाई पुलिस

* उद्योगपति के मोबाइल की तलाश में लगे हैं निजी गार्ड* पुराने किडनैपरों का रिकार्ड खंगाल रही पुलिस* पुलिस को कुछ संदिग्धों की जानकारी मिली, तेज हुई तलाश  

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गायब होने के तीन दिन बाद दर्ज हुआ उद्योगपति के किडनैपिंग का केस, घटना की जगह भी नहीं ढूंढ पाई पुलिस

गायब होने के तीन दिन बाद दर्ज हुआ उद्योगपति के किडनैपिंग का केस, घटना की जगह भी नहीं ढूंढ पाई पुलिस

रायपुर । राजधानी से उद्योगपति प्रवीण सोमानी के गायब होने के तीन दिन बाद पुलिस ने अपहरण होने का मामला दर्ज किया है। इससे पहले पुलिस उसे गुमशुदा मान रही थी, लेकिन कई जगह के सीसीटीवी कैमरा और मोबाइल नंबरों की जांच के बाद उद्योगपति के अगुवा होने की पुष्टि हुई है। इसके बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धारा 365 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। दूसरी ओर पुलिस घटना के सीन ऑफ क्राइम में उलझ गई है। घटना किस जगह पर हुई और कैसे हुई? इसका पता नहीं लगा सके हैं।

उल्लेखनीय है कि 8 जनवरी को उद्योगपति प्रवीण अपने रेंज रोवर कार से सिलतरा स्थित ऑफिस से निकला था। इसके बाद रात तक वह अपने घर नहीं पहुंचा था। इसके बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस तीन दिन तक मामले की जांच करती रही। इसके बाद शनिवार को अज्ञात अपहणकर्ताओं के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया। आरोपियों ने अब तक फिरौती की मांग नहीं की है। इससे पुलिस और परिजनों की परेशानी बढ़ गई है।

सिलतरा में आना-जाना होता था कम
प्रवीण का सिलतरा में सारडा एनर्जी के पास एक ऑफिस है। इसमें कोयल का ब्रिक्स और लोहे के स्क्रेप खरीदने का कारोबार करता था। करीब दो साल पहले सिमगा में उसने पीग ऑयरन बनाने की फैक्ट्री डाली है। इसमें कोई एक और पार्टनर है।

घटना कहां हुई ढूंढ नहीं पाए
घटना 8 जनवरी की शाम का बताया गया है। उद्योगपति प्रवीण को किडनैपरों ने कहां पर रोका और उनका किस तरह अपहरण किया गया है। इस संबंध में पुलिस को कुछ खास जानकारी नहीं मिली है। उल्लेखनीय है कि घटना स्थल सिलतरा से धरसींवा के बीच बताया जा रहा है, जबकि उद्योगपति की कार विधानसभा इलाके के रामकुटीर कॉलोनी के बाहर बार पार्र्किंग में मिली है, जहां उनका ऑफिस है। आरोपियों का कार को करीब 12 किमी दूर उनके ऑफिस तक लाना और फिर छोड़कर जाने को लेकर भी पुलिस उलझन में है।

उलझाने की कोशिश
आमतौर पर प्रोफेशनल गिडनैपरों का गिरोह वारदात करने के बाद पुलिस को उलझाने के लिए इस तरह की साजिश रचते हैं। अपराध करने के बाद कार या अन्य सामान को किसी दूसरे स्थान पर छोड़ देते हैं, ताकि पुलिस का पूरा ध्यान उसमें रहे।

दिखा नंबर प्लेट
प्रवीण की कार के आसपास मंडराने वाले संदिग्ध कारों का नंबर पुलिस को मिल गया है। अब उन नंबरों की जांच की जा रही है, जिसके नाम से रजिस्ट्रेशन नंबर अलाट हुए हैं। बिलासपुर रोड में एक पेट्रोल पंप के पास संदिग्ध सफेद कार की नंबर प्लेट मिली है।

दूसरे राज्य रवाना हुई टीम
पुलिस को तीन दिन की जांच में संदिग्ध मोबाइल नंबर के साथ ही कार के नेम प्लेट की भी जांच की गई है। इसमें कुछ संदिग्धों का पता चला है। इस आधार पर पुलिस ने उनकी तलाश के लिए अलग-अलग टीमें भेजी गई है।

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