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मासूम का शव हाथ में आते ही फट पड़ा कलेजा, कहा – पत्नी को कैसे बताऊं नहीं रहा हमारा लाल

locationरायपुरPublished: Aug 21, 2017 10:55:00 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

पिता का कलेजा उस वक्त फट गया जब उनके मासूम के शव को उनके हाथों में सौंपा गया। प्रकाश ने 17 अगस्त को अपने मासूम को अस्पताल में भर्ती कराया था।

kids die in Ambedkar Hospital

दो दिन के मासूम का शव हाथ में आते ही फट पड़ा कलेजा

रायपुर. प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अंबेडकर अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई 15 मिनट तक बाधित होने से 4 नवजातों की जान चली गई। वहीं बालाघाट के प्रकाश विश्वकर्मा का कलेजा उस वक्त फट गया जब उनके दो दिन के मासूम के शव को उनके हाथों में सौंपा गया। प्रकाश ने 17 अगस्त को अपने दो दिन के मासूम को अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया था।
अस्पताल प्रबंधन ने मासूम का शव उनके हाथों में सौंपा तो प्रकाश की आखों से आंसू नहीं थम रहे थे। सिसकते हुए प्रकाश ने बताया, १५ अगस्त को उनकी पत्नी अंजली को बेटा बालाघाट में पैदा हुआ था। सांस मेंं तकलीफ होने की शिकायत पर दो दिन बाद उन्होंने अंबेडकर अस्पताल में नवजात को भर्ती कराया था।
डॉक्टरों का कहना था कि बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है। प्रकाश ने बताया कि नियोनेटल यूनिट के वेंटीलेटर में होने के कारण बच्चे को चार-चार घंटे बाद ही देखने दिया जाता था। बच्चे की मौत कब हुई उन्हें पता ही नहीं था। जब सुबह तकरीबन 8:10 बजे उनकी मां बच्चे को देखने नियोनेटल केयर यूनिट में गई, तब वहां मौजूद डॉक्टरों ने बताया कि मासूम की सांसें थम गई हैं। प्रकाश का रो-रो कर बुरा हाल है। कहता है कि पत्नी को कैसे बताऊं कि दो दिन पहले उसकी गोद में आया उसका लाल अब नहीं रहा।
समझ नहीं आया क्यों भगा दिया अस्पताल से
पलारी के धर्मदास मानिकपुरी की पत्नी की डिलिवरी एक सप्ताह पहले अंबेडकर अस्पताल में ही हुई थी। बच्चे को फेफड़ा ठीक से काम न करने पर वेंटीलेटर पर रखा गया था। रविवार को दोपहर तकरीबन साढे १२ बजे अचानक नर्स बाहर आई और बोली कि बच्चे की सांस चलनी बंद हो गई है। इसके बाद महज आधे घंटे के भीतर शव परिजनों के सुपुर्द कर जाने को कहा गया। धर्मदास ने बताया कि ड्यूटी में मौजूद डॉक्टर इतनी जल्दबाजी क्यों कर रहे थे समझ में नहीं आया।
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