
रायपुर . छत्तीसगढ़ में मेरा दूसरी बार आना हुआ है। इससे पहले रायगढ़ में प्रस्तुति देने आई थी। यहां के लोगों में संगीत और गायकी को लेकर काफी गहरी समझ है। यह कहना है पंजाबी सिंगर अर्शप्रीत कौर का। राजधानी में लाइव कंसर्ट के दौरान उनसे बातचीत के अंश।
ढाई साल की उम्र में दादी के साथ कीर्तन में गाती थी। घर में संगीत का माहौल था। दादी अक्सर मेरी आवाज को लेकर प्रोत्साहित किया करती थी। स्कूल में कभी किसी कॉम्पिटीशन में पार्टिसिपेटस तो नहीं किया, लेकिन कॉलेज के युवा उत्सव में जरूर गाया करती थी। परिजनों से लोग टीवी मुकाबले में भेजने की बात कहने लगे। पापा ने मुझे आवाज पंजाब दी शो में भेजा और मैं वर्ष २००३ की आवाज पंजाब दी चुन ली गई। यहां से मैं लगातार आगे बढ़ती गई।
आवाज पंजाब दी बनने के बाद स्टेज शोज के लिए मुझे बुलाया जाने लगा। इसी बीच २ पंजाबी फिल्मों के ऑफर आए। पंजाब बोलदा के गाए गीत हिट हो गए। बस यहीं से मुझे अच्छा एक्सपोजर मिलने लगा। वर्ष २००७ में अमूल स्टार वॉयस आफ इंडियाज् के ऑडिशन के लिए अपनी आडियो कैसेट भेजा। इसमें प्रतियोगिता में १७ पार्टिसिपेट सलेक्ट हुए जिसमें मैं टॉप टेन में शामिल रही।
नहीं, क्योंकि मेरे हसबैंड अरिन भी सिंगर हैं। उनका पूरा सपोर्ट रहा है। पैरेंट्स भी शुरू से सपोर्ट कर रहे हैं। अगर कपल्स में अंडरस्टेंडिंग हो तो कॅरियर ग्रो होता है। इस मामले में हम दोनों लकी रहे हैं।
सिंगिंग और एक्टिंग दोनों के लिए ऑफर किया था, लेकिन मैंने गायकी को ही तवज्जो दी। आगे भी मैं सिंगिंग ही करूंगी। मै और मेरे हसबैंड जल्द ही एक एलबम में नजर आएंगे।
आज के दौर में तो वुमेंस आगे ही हैं। मैं देख रही हूं कि सभी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। अगर किसी भी महिला को पैरेंट्स का सपोर्ट मिला तो वह अपने गोल्स जरूर अचीव कर सकती है। इसलिए मैं पैरेंट्स के लिए ही कहूंगी कि वे सहयोग के लिए हमेशा आगे रहें।
Published on:
23 Apr 2018 05:31 pm
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