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रिसीवर को कोई समस्या नहीं प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह पहला स्किन डोनेशन था। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों के अनुसार युवक को गंभीर बीमारी थी, लेकिन स्किन के अलावा किडनी, कार्निया दूसरे मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। इससे रिसीवर को कोई समस्या नहीं होगी। चूंकि हीमोफीलिया खून संबंधी बीमारी है। इसलिए युवक के विभिन्न अंग को किसी जीवित व्यक्ति में लगाया जा सकता है।
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35 दिन बाद उपयोग विभाग के एचओडी डॉ. दक्षेश शाह ने बताया कि स्किन डोनेशन के बाद इसे किसी व्यक्ति के उपयोग के लायक बनाने में 30 से 35 दिन लगता है। स्किन का कल्चर टेस्ट कराया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट आने में ही 72 घंटे लगते हैं। यह इसलिए कराते हैं, जिससे पता चलता है कि स्किन में कहीं बैक्टीरिया का संक्रमण तो नहीं है। संक्रमण नहीं होने पर इसे स्किन बैंक के उस सेक्शन में रखा जाएगा, जिसे दूसरे मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।