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सूखा-गीला कचरा कलेक्शन में फिसड्डी, फिर भी रैंकिंग में सुधार का भरोसा

-निगम को सबसे अधिक ओडीएफ और वाटर प्लस से उम्मीदें

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सूखा-गीला कचरा कलेक्शन में फिसड्डी, फिर भी रैंकिंग में सुधार का भरोसा

सूखा-गीला कचरा कलेक्शन में फिसड्डी, फिर भी रैंकिंग में सुधार का भरोसा

रायपुर. नगर निगम लोगों के घरों से सूखा और गीला कचरा अलग-अलग कलेक्शन कराने के मामले में फिसड्डी है। इसके पीछे बड़ी वजह न तो मॉनिटरिंग और न ही जिस रामकी कंपनी को हर माह 3 से 4 करोड़ का भुगतान निगम प्रशासन कर रहा है, उस कंपनी से ये काम नहीं करा सका। नतीजा, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन 40 से 50 फीसदी ही शहर के 70 वार्डों से हो रहा है। ऐसी िस्थति में भी निगम के अफसरों का भरोसा है कि ओडीएफ और वाटर प्लस से स्वच्छता रैंकिंग में अच्छे नंबर मिलेंगे।

बता दें कि पिछले साल की स्वच्छता रैंकिंग में हमारा रायपुर टॉपटेन से बाहर हो चुका है। अब इसके अंदर स्थान बनाने के लिए निगम प्रशासन को मशक्कत करनी पड़ रही हैं। क्योंकि जमीन स्तर पर सफाई ठेके से वार्डों में भर्राशाही चल रही है। इंदौर जैसी सफाई शहर के बाजार क्षेत्रों की भी नहीं हो रही है। ऐसी खामियों की वजह से ही राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग को पलीता लग रहा है।

जहां चेकिंग वहीं खामियां उजागर

शहर की सफाई व्यवस्था लचर बनी हुई है। पिछले चार-पांच महीनों के दौरान निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी सहित अपर आयुक्तों ने जिन वार्डों में अचानक जांच की तो वहां-वहां खामियां उजागर हुई हैं। शहीद वीरनारायण सिंह वार्ड में निगम आयुक्त को स्वास्थ्य निरीक्षक और सुपरवाइजर को निलंबित करना पड़ा। ऐसा ही हाल दूसरे वार्डों में अपर आयुक्तों ने अपने जांच में कहीं 15 तो कहीं 20 सफाई कर्मियों की कम संख्या पाया। अभी हाल ही में जोन 5 के वार्ड में निगम में अपर आयुक्त प्रशिक्षु आईएएस ने औचक निरीक्षक किया तो 17 कर्मचारी कम निकले। इससे शहर की सफाई का अंदाजा लगाया जा सकता है।

राष्ट्रीय सर्वे टीम इसी महीने देगी अपनी रिपोर्ट
राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण-23 की रैंकिंग तय करने के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों के निकायों का कराया जा रहा है। इसके लिए 21 जुलाई अंतिम डेडलाइन तय की। ऐसा माना जा रहा है कि दो-चार दिनों में रायपुर निगम का नंबर आ सकता है।

सर्वे में होंगे ऐसे सवाल
1. क्या आपके घर से रोज कचरे का कलेक्शन होता है

2. क्या आपके यहां कचरे गाड़ी का कर्मचारी गीला और सूखा कचरा अलग-अलग कलेक्ट करता है।
3. क्या आप अपने आसपास में हमेशा साफ-सफाई देखते हैं।

4. क्या आप अपने नजदीक के सार्वजनिक टॉयलेट को गूगल पर खोज पाते हैं।
इन कामों पर निगम को ज्यादा भरोसा
रायपुर नगर निगम ओडीएफ और वाटर प्लास के मामले में शत-प्रतिशत काम हुआ है। शहर के 8 नालों के गंदा पानी की सफाई के लिए एसटीपी प्लांट काम करने लगा है। महाराजा तालाब में सीवरेज प्लांट लग रहा है। खोखो और नरैया तालाब में भी निर्माण शुरू है। सरोना ट्रेचिंग ग्राउंड का 400 टन कचरा डिस्पोज करने की प्रक्रिया पूरी हुई। इन्हीं दावों के आधार पर स्वच्छता रैंकिंग में सुधार का दावा किया जा रहा है।

जोन स्तर पर सफाई मित्र, स्वच्छता दीदियों के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाया गया है। ओडीएफ और वाटर प्लास होने के कारण इस बार स्वच्छता रैंकिंग में काफी सुधार होने की उम्मीद है।
रघुमणि प्रधान, नोडल अधिकारी, स्वच्छ भारत मिशन