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रायपुर

COVID-19: मौत को मात देकर लौटी इस 62 साल की महिला की कहानी आपको देगी प्रेरणा

Story of COVID Patient: कोरोना की तमाम नकारात्मक और डराने वाली खबरों के बीच, उम्मीद की नई किरण का नाम है तीजन। ऑक्सीजन लेवल जो 94 से अधिक होना चाहिए, गिरकर 60 पहुंच गया था। बीपी भी बढ़ा हुआ था। इस स्थिति से कोरोना को हराकर लौटना, यानी मौत को मात देना है।

रायपुरMay 06, 2021 / 10:11 pm

Ashish Gupta

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रायपुर. सामान्य व्यक्ति की RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव है, मगर लक्षण हैं तो डॉक्टर सीटी स्कैन करवाते हैं। अगर, सीटी स्कोर 5 से अधिक है तो उसे कोरोना माना जाता है। 62 वर्षीय तीजन तिरंगे का सीटी स्कोर 25 में से पूरे 25 था। ऑक्सीजन लेवल जो 94 से अधिक होना चाहिए, गिरकर 60 पहुंच गया था। बीपी भी बढ़ा हुआ था। इस स्थिति से Corona को हराकर लौटना, यानी मौत को मात देना है।

कोरोना की तमाम नकारात्मक और डराने वाली खबरों के बीच, उम्मीद की नई किरण का नाम है तीजन। दुर्ग जिले के धमधा निवासी तीजन को निजी अस्पताल में बेड न मिलने की स्थिति धमधा कोविड सेंटर में भर्ती करवाया गया। यहां के डॉक्टर चाहते थे कि इतनी गंभीर स्थिति में उसे शंकराचार्य हॉस्पिटल रेफर किया जाए, मगर परिवार वाले इसके खिलाफ थे। उन्हें डर था कि वहां स्टाफ सहयोग न करे। इसलिए तीजन को धमधा में ही रखने का फैसला लिया गया। पूरे 12 दिन बाद ऑक्सीजन लेवल 97 आ गया।

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एसडीएम बृजेश क्षत्रिय का कहना है कि हमारे COVID Care Center के डॉक्टर और स्टाफ ने इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे तीजन का हौसला बढ़ाते रहे। तब तीजन डिस्चार्ज हुईं तो उन्हें तालियां बजाते हुए विदा किया गया। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे के निर्देश पर धमधा कोविड केयर सेंटर की स्थापना की गई थी, जहां 4 मल्टी फंक्शन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 30 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं।

कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का किया पालन
कोविड केयर सेंटर के चिकित्सकों में बीएमओ डॉ. डीपी ठाकुर, डॉ. शशि प्रभा मैत्री और डॉ. जयश्री नागरे ने सिर्फ और सिर्फ कोविड प्रोटोकाल के मुताबिक मेडिसीन प्लान की ओर इलाज शुरू किया। डॉक्टर हायर सेंटर के संपर्क में भी रहे। उनके लाइन ऑफ ट्रीटमेंट भी लिया और हम सफल रहे।

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इलाज के साथ व्यवहार और वातावरण जरूरी
तीजन बहुत खुश हैं। वे कहती हैं कि मेरा बहुत अच्छे से ध्यान रखा गया। कोई कमी नहीं हुई। समय पर खाना और दवाइयां दी गई। इनके परिजन भी काफी खुश हैं। बेटा कहता है कि मां की तबियत बहुत खराब थी, डॉक्टरों न उन्हें नया जीवन दिया। डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज साहू करते हैं कि कोरोना पर व्यक्ति के तनावग्रस्त होने की संभावना होती है। अगर, ऐसे वक्त पर उसका हौसला बढ़ाने का जरुरत है। अगर, उसे इलाज के साथ-साथ बेहतर वातावरण मिले तो मनोबल बढ़ता है।

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