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सुनीता को सरकार से थी नौकरी की उम्मीद, अब खुद का चला रही सैलून

बॉक्सिंग में इंटरेस्ट था। नेशनल तक पहुंचीं। दो गोल्ड भी हासिल किए। अब खुद का सैलून चला रही हैं।

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रायपुर। यह कहानी है माओवाद हिंसाग्रस्त क्षेत्र कोंडागांव से लगे गांव चिपोंड़ निवासी सुनीता सेन की। बॉक्सिंग में इंटरेस्ट था। नेशनल तक पहुंचीं। दो गोल्ड भी हासिल किए। अब खुद का सैलून चला रही हैं। परिवार में मां, तीन बहन और भाई हैं। पिता को अकेले जूझते देखा तो खुद भी हाथ बंटाने लगी। छठवीं क्लास से सैलून जाने लगीं। आज उनके हाथ हेयर को संवारने में मशीन की तरह चलते हैं। वे कहती हैं कि काम वही करें जिसमें खुद को भी अच्छा लगा क्योंकि तभी आप अपना हंड्रेड परसेंट दे पाएंगे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में छत्तीसगढ़ सर्वसेन समाज के प्रदेश स्तरीय महिला महासम्मेलन में उनका सम्मान किया गया। इस दौरान सुनीता ने पत्रिका से अपनी जर्नी शेयर की।

Video by: Tabir Hussain

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