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नक्सलियों के गढ़ में टाटा करने जा रहा है ये काम, 6 हजार गांवों का मिला ठेका

टाटा का यह काम निश्चित की बहुत कठिन है, लेकिन सफलता जरुर मिलेगी

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भारत नेट के दूसरे चरण में टाटा को मिला 6 हजार गांवों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने का ठेका

रायपुर। भारतनेट के दूसरे फेज में टाटा, छत्तीसगढ़ के 6 हजार गांवों में जिनमे ज्यादातर माओवाद प्रभावित है ,ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने का काम करेगी। टाटा की कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड छत्तीसगढ़ में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को बिछाने का काम करेगी। टाटा प्रोजेक्ट्स ने सरकारी कंपनी टेलीकम्युनिकेशन इंडिया लिमिटेड और विन्ध्य टेलीलिंक्स को पीछे छोड़ते हुए यह ठेका हासिल किया है । गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ ने पिछले साल दिसंबर माह में केंद्र से 32 हजार 644 किमी लम्बे ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को स्थापित करने के लिए अनुबंध किया था उस वक्त इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत 1,624 करोड़ आंकी गई थी । बताया जा रहा है कि टाटा यह काम 2600 करोड़ रूपए में करेगा हांलाकि अभी उसे लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस नहीं मिला है ।


4104 ग्राम पंचायतों में पहले चरण में कनेक्टिविटी

भारत नेट के अंतर्गत राष्ट्रीय ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ के 64 विकासखण्डों की 4104 ग्राम पंचायतों में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा ऑप्टिक फाइबर कनेक्टिविटी देने का कार्य किया जा रहा है। वहीं द्वितीय चरण में 85 विकास खण्डों की 5987 ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाया जाना है टाटा की कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड छत्तीसगढ़ में आप्टिकल फाइबर नेटवर्क को बिछाने का काम करेगी । दूरसंचार नेटवर्क के विस्तार से ग्राम पंचायतों के स्तर पर आपात परिस्थितियों में टोल फ्री नम्बर पर आधारित संजीवनी एक्सप्रेस और महतारी एक्सप्रेस की सेवाएं बेहतर होंगी और सरकारी योजनाओं को पारदर्शितापूर्ण ढंग से गांव गांव तक ले जाया सकेगा। गौरतलब है कि तमाम कोशिशों के बावजूद छत्तीसगढ़ के दूर दराज के इलाके संचार सेवा से अब तक अछूते हैं।


पांच साल विलम्ब से चल रही योजना

डिजिटल भारत अभियान के तहत केन्द्र सरकार द्वारा भारत नेट परियोजना गांवों और शहरों के बीच डिजिटल दूरी को कम करने और आम जनता तक सूचना, शिक्षा, बाजार, बैंक और इंटरनेट की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई है। भारत नेट परियोजना, जिसे पहले राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क कहा जाता था, ने 2011 में कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त की थी और 2013 के अंत तक इसे पूरा करने की समय-सीमा निर्धारित की गई थी ,लेकिन यह लगातार पिछड़ती चली गई । एनडीए सरकार ने परियोजना की स्थिति की फिर से जांच की और 2016 के आखिर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा. इसके बाद पुन: भारत नेट परियोजना को पूरा करने के लिए दिसम्बर 2018 तक का दिया गया है।