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2 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता फिर भी 19 साल बाद भी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ का टेलीकॉम सर्कल नहीं हुआ अलग

राज्य बने 19 साल बीते चुके हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ का टेलीकॉम सेक्टर अब भी टेलीकॉम कंपनियों के कवरेज से बाहर है। दरअसल दूरसंचार विभाग के टेलीकॉम सर्कल में मप्र-छग सर्कल को अलग नहीं किया गया है।

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2 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता फिर भी 19 साल बाद भी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ का टेलीकॉम सर्कल नहीं हुआ अलग

2 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता फिर भी 19 साल बाद भी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ का टेलीकॉम सर्कल नहीं हुआ अलग

मध्यप्रदेश के इंदौर से छत्तीसगढ़ के टेलीकॉम सेक्टर का संचालन


टेलीकॉम कंपनी- जियो, आइडिया, एयरटेल, वोडाफोन, बीएसएनएलइंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी- 40

अजय रघुवंशी@रायपुर. राज्य बने 19 साल बीते चुके हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ का टेलीकॉम सेक्टर अब भी टेलीकॉम कंपनियों के कवरेज से बाहर है। दरअसल दूरसंचार विभाग के टेलीकॉम सर्कल में मप्र-छग सर्कल को अलग नहीं किया गया है। टेलीकॉम कंपनियों को मप्र-छग सर्कल के नाम पर एक ही लाइसेंस प्रदान किया जा रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि छत्तीसगढ़ के साथ टेलीकॉम कंपनियां सौतेला व्यवहार कर रही है। इसकी बानगी साफतौर पर देखी जा सकती है, जिसमें छत्तीसगढ़ में जियो, आइडियो, एयरटेल और वोडाफोन के अभी तक कार्पोरेट ऑफिस नहीं है। यहां इन कंपनियों के बड़े अधिकारी नहीं बैठते।

इंदौर से छत्तीसगढ़ के टेलीकॉम सेक्टर का संचालन

इंदौर से छत्तीसगढ़ के टेलीकॉम सेक्टर का संचालन किया जा रहा है। टेलीकॉम सेक्टर में मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ को अलग नहीं किए जाने की वजह से उपभोक्ताओं को नेटवर्क क्वालिटी व कवरेज से समझौता करना पड़ रहा है। दूरसंचार विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में अभी भी 2800 गांव कवरेज से बाहर हैं, जिसमें मैदानी, पठारी दोनों इलाके शामिल हैं।


छत्तीसगढ़ में 36 हजार बीटीएस साइट्स हैं, जिसके जरिए टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क का संचालन कर रही है। एक बीटीएस में औसत 583 मोबाइल उपभोक्ताओं का दबाव हैं। शहरी क्षेत्रों के कई इलाकों में एक बीटीएस में उपभोक्ताओं का दबाव 1000 से भी अधिक हैं।

बफरिंग, कॉल ड्रॉप की समस्या फिर तेज

राजधानी सहित अन्य शहरों में अलग-अलग टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क पर कॉल ड्रॉप, बफरिंग की शिकायतें फिर तेज होने लगी है। यह समस्या भीड़-भाड़ वाले इलाकों के साथ ही शांत इलाकों में भी है। क्रास कनेक्शन की समस्या कम होने के बाद नेटवर्क क्वालिटी अभी भी नहीं बढ़ाई जा सकी है।

यह स्थिति तब है जब प्रदेश मेें लगातार मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में तेजी से उछाल आया है। दूरसंचार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सर्कल अलग नहीं होने की वजह से नेटवर्क क्वालिटी कमजोर नहीं हो सकता।

नईदिल्ली के अलावा दूरसंचार विभाग (डीओटी) का प्रमुख कार्यालय मध्यप्रदेश में संचालित हैं, जिसकी वजह से टेलीकॉम कंपनियों पर निगरानी रखी जा रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में एक क्षेत्रीय कार्यालय संचालित हैं, जहां 10 से 12 स्टॉफ से ही काम चलाया जा रहा है।

इस पूरे मामले में दूरसंचार विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (छग) आरके गहरवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का टेलीकॉम सेक्टर अभी एक ही हैं। टेलीकॉम कंपनियों के लाइसेंस की अवधि 2025 तक हैं। सर्कल अलग करने का अधिकार क्षेत्र दूरसंचार मंत्रालय के दायरे में हैं।

5. प्रदेश में कार्पोरेट ऑफिस का संचालन करना होगा। उपभोक्ता और कंपनी के बीच की दूरियां कम होगी।

दूरसंचार विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 2025 तक टेलीकॉम कंपनियों को मप्र-छग सर्कल का लाइसेंस प्रदान किया गया है, जिसकी वजह से इससे पहले सर्कल का अलग होना मुश्किल हैं। दोनों राज्यों को अलग-अलग सर्कल में बांटने के लिए केंद्र सरकार को निर्णय लेना पड़ेगा। अलग सर्कल होने के बाद टेलीकॉम कंपनियों को दोनों राज्यों के लिए अलग-अलग योजना बनानी होगी। वर्तमान में लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक ग्रामीण और शहरी इलाकों में नेटवर्क कवरेज के लिए दोनों राज्यों में से क्षेत्रों का चुनाव किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक मप्र-छग में छत्तीसगढ़ को कम तरजीह दी जा रही है।