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CG News: गुरुघासीदास-उदंती सीतानदी में बढ़ेगा बाघों का कुनबा, 9 सदस्यीय टीम 28 को एमपी जाएगी

CG News: पकड़े गए बाघ की मेडिकल रिपोर्ट मिलने पर गुरुघासीदास-तमोर पिंगला और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (यूएसटीआर) में शिफ्ट किया जाएगा।

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CG News: गुरुघासीदास-उदंती सीतानदी में बढ़ेगा बाघों का कुनबा, 9 सदस्यीय टीम 28 को एमपी जाएगी

CG News: वन विभाग की 9 सदस्यीय टीम मध्यप्रदेश के कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ लाने की तैयारी में जुट गई है। दोनों राज्यों और एनटीसीए की अनुमति के बाद 28 अक्टूबर को विभागीय अधिकारी दस्तावेजी खानापूर्ति करने के लिए भोपाल जाएंगे। इस दौरान हस्तांतरण की प्रक्रिया और बाघों का चयन होगा। साथ ही पकड़े गए बाघ की मेडिकल रिपोर्ट मिलने पर गुरुघासीदास-तमोर पिंगला और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (यूएसटीआर) में शिफ्ट किया जाएगा।

बताया जाता है कि बाघों को लाने की सहमति मिलने ही एटीआर और यूएसटीआर में बाघों को कुछ दिन रखने के बाद जंगल में छोड़ने की योजना बनाई गई है। ताकि स्थानीय माहौल में ढलने के बाद निगरानी की व्यवस्था की जा सकें। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अरूण कुमार पांडेय ने बताया कि बाघों को लाने के दस्तावेजी खानापूर्ति करने के लिए टीम जल्दी ही भोपाल जाएगी। बता दें कि संरक्षित वनक्षेत्र में पालतू मवेशियों को चराने ले जाने पर रोक है।

बावजूद इसके एटीआर सहित प्रदेश के ज्यादातर वनक्षेत्रों में पालतू मवेशियों को चरवाहा चराने के लिए चले जाते हैं। इसके चलते शाकाहारी वन्यजीवों को पर्याप्त मात्रा में चरने के लिए घास नहीं मिल पाती। राज्य में ग्रास लैंड की कमी की एक बड़ी वजह लैंटाना घास है, जो खरतपतवार की श्रेणी में आता है।

वन विभाग वनों में पालतू मवेशियों के चराने के साथ लैंटाना ग्रास की वृद्धि रोकने उपाय करे तो वनों में शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि होगी। इसी के चलते वन्यप्राणियों की कमी की चलते बाघ और अन्य वन्य प्राणियों की संख्या लगातार कर हो रही थी। इसमें इजाफा करने के लिए ही मध्यप्रदेश से बाघ लाए जा रहे है।

एक नर व पांच मादा होंगी शिफ्ट

मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से 1 नर और 2 मादा बाघों को उंदती सीतानदी में शिफ्ट किया जाएगा। वहीं बांधवगढ़ से 3 बाघिन को गुरुघासीदास-तमोर पिंगला लाया जाएगा। उक्त दोनों ही टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिए हरा चारा और पानी की व्यवस्था होने के कारण उनकी संख्या में बढ़ी तेजी से इजाफा हुआ है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लाये जाने वाले बाघ 2 से 3 साल की उम्र के होंगे। ताकि उनकी संख्या बढ़ाई जा सकें।

बता दें कि बाघिन अपने शावक को 18 से 20 माह तक साथ रखती है। इस समय छत्तीसगढ़ वन विभाग के अधिकारी स्थानीय जंगलों में 25 से 28 बाघों के होने का दावा कर रहे है।