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क्वारंटाइन सेंटरों में मजदूरों के लिए बेहतर व्यवस्था बनाने की कोशिश

तहसील बागबाहरा के समस्त क्वॉरेंटाइन सेंटर में मूलभूत सुविधाओं जैसे कि भोजन की व्यवस्था, पीने का साफ पानी, बिजली, साफ-सफाई, प्रवासी श्रमिकों के लिए मनोरंजन के साधन एवं इस भीषण गर्मी में ऐसे सेंटरों में कूलर की व्यवस्था जन सहयोग के माध्यम से की गई है।

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क्वारंटाइन सेंटरों में मजदूरों के लिए बेहतर व्यवस्था बनाने की कोशिश

क्वारंटाइन सेंटरों में मजदूरों के लिए बेहतर व्यवस्था बनाने की कोशिश

महासमुंद. तहसील बागबाहरा के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटर में प्रवासी श्रमिकों का आना जारी है। इसके लिए शासन-प्रशासन से समय-समय पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके अंतर्गत ऐसे प्रवासी श्रमिकों को 14 दिन के अनिवार्य आइसोलेशन में रखा जाना है। इसके लिए पंचायत स्तर पर एवं नगरी क्षेत्र में विभिन्न क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है।

ऐसे प्रवासी श्रमिकों को क्वारेंटाइन सेंटर में रुकने का उद्देश्य बताया जाता है। इन क्वारेंटाइन सेंटर में ऐसे श्रमिकों को रोकने के लिए इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि उन्हें किसी प्रकार की समस्या ना हो। उनकी मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर के तहसील स्तर पर निर्मित क्वारेंटाइन सेंटर में पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था की गई। इसके लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बागबाहरा के द्वारा नोडल अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।

तहसील बागबाहरा के समस्त क्वॉरेंटाइन सेंटर में मूलभूत सुविधाओं जैसे कि भोजन की व्यवस्था, पीने का साफ पानी, बिजली, साफ-सफाई, प्रवासी श्रमिकों के लिए मनोरंजन के साधन एवं इस भीषण गर्मी में ऐसे सेंटरों में कूलर की व्यवस्था जन सहयोग के माध्यम से की गई है। क्वारेंटाइन सेंटर श्रमिक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने लिए भोजन बनाते हैं।
स्थानीय प्रशासन मजदूरों का रख रहा ध्यान
स्थानीय प्रशासन ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि क्वारंटाइन सेंटर में रुके हुए प्रवासी श्रमिक अपने हुनर जैसे रस्सी बनाना, झाड़ू बनाना, चटाई बनाना अगर उन्हें आता है तो साथ में रहने वाले अन्य साथियों को भी अवश्य सिखाएं। ये क्वारेंटाइन सेंटर में समय बिताने का एक अ'छा साधन साबित हो सकता है। यदाकदा अगर क्वारेंटाइन सेंटर में कुछ समस्या रह भी जाती है तो यह प्रवासी मजदूर आपस में तालमेल बिठाते हुए इन छोटी-मोटी समस्याओं को दूर कर लेते है।

स्थानीय स्तर पर इन्हें पंचायत का भी सहयोग पूरा-पूरा मिल रहा है। ऐसे प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि क्वारेंटाइन सेंटर बाहर से बंद रहता है। सरपंच, कोटवार सचिव और अधिकारी हालचाल जानने आते रहते हैं। आरएचओ व मितानिन जांच करने के लिए आते हंै। हम उनसे दूर से बात किया करते हंै। पूर्व में ेकुछ श्रमिकों के सैंपल भी ले गए थे, पर रिपोर्ट नेगेटिव आए। समय कब बीत जाता है, पता नहीं चलता। 14 दिन के आइसोलेशन के बाद अपने घर लौट जाएंगे।