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पहली CRPF महिला असिस्टेंट कमांडेंट, नाम सुनते थर-थर कांपने लगते है नक्सली

CRPF अफसर उषा किरण को मिलेगा एफआईसीसीआई अचीवमेंट अवार्ड।

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आलोक सिंह यादव@रायपुर. महिला अफसरों की बात की जाए तो देश में ऐसी कई महिला अफसर हैं, जो अपने फैसले लेने की क्षमता और मजबूत इरादों के लिए जानी जाती हैं। इन्हीं में से एक हैं ऊषा किरण। ऊषा देश की पहली सीआरपीएफ महिला असिस्टेंट कमांडेंट जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात हैं। मूल रूप से गुड़गांव की रहने वाली इस लेडी अफसर ने 25 साल की उम्र में सीआरपीएफ ज्वॉइन की थी।

बस्तर के नक्सल क्षेत्र में सुरक्षा के साथ शिक्षा-स्वास्थ्य और देशप्रेम जगाने का काम भी कर रही हैं। उनके इन्हीं कामों को देखते हुए उन्हें एफआईसीसीआई (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry) ने अचीवर अवार्ड के लिए भी नामांकित किया है। उन्हें यह अवार्ड 27 अप्रैल को जयपुर में मिलेगा।

उषा किरण से जुड़ी महत्तवपूर्ण बातें जो आपको जानना जरुरी है:

-उषा किरण की पहली पोस्टिंग दरभा, जगदलपुर में हुई। दरभा वही इलाका है जहां झीरम घाटी में एक साथ 29 से ज्यादा कांग्रेसियों की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।

- नक्सल इलाकों में वह न सिर्फ आधुनिक हथियारों से नक्सलियों का मुकाबला कर रही हैं बल्कि सामाजिक जागृति फैलाने का काम भी कर रही हैं।

-जब उषा रानी को 332 महिला बटालियन में नियुक्त किया गया था। उस दौरान अगली पोस्टिंग के लिए उनसे पूछा गया तो उन्होंने बिना किसी संकोच के नक्सल प्रभावित बस्तर को चुनने का फैसला लिया।

-उषा किरण की पोस्टिंग जब CRPF के कोबरा बटालियन (जो की जंगल वॉर एक्सपर्ट) के लिए जाती है। उस समय चिंतागुफा और बुर्कापाल कार्यक्षेत्र मिला। यह इलाका पूरा नक्सल प्रभावित है। साल 2009 से लेकर अब तक चिंतागुफा थाना क्षेत्र में 150 जवान नक्सल से लड़ते हुए शहीद हो चुके है ।

- उषा किरण के पति पेशे से डॉक्टर है, उनकी भी पोस्टिंग बतौर डॉक्टर इसी इलाके में तैनात है।

- वह अक्सर नक्सल प्रभावित इलाकों के गांवों में बच्चों और महिलाओं की सेहत जांचने अपने पति के साथ जाती हैं। इस दौरान जरूरतमंदों को इलाज के साथ-साथ दवा भी उपलब्ध करवाती हैं।

- उषा दरभा जैसे नक्सल प्रभावित इलाके की लड़कियों के लिए रोल मॉडल हैं। इस पूरे इलाके में कुछ समय पहले तक लड़कियां और महिलाएं नक्सलियों के लिए काम करती थीं फिर इस इलाके में जनजागरण अभियान चलाया गया और बड़ी मात्रा में सरेंडर हुए।

- ऊषा किरण, बस्तर में काम करने के चुनाव को लेकर अपने पिता विजय सिंह की प्रेरणा मानती हैं। वे 2008-09 के दौरान सुकमा में सीआरपीएफ को अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

- राष्ट्रीय स्तर की ट्रिपल जंप प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक केमिस्ट्री में बीएससी (आनर्स) 76 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण परिवार से तीसरी पीढ़ी की सीआरपीएफ अधिकारी

- उनके पिता सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर हैं। उनके दादा भी सीआरपीएफ में थे, अब वह रिटायर हो चुके हैं

-2013 में सीआरपीएफ के लिए दी गई परीक्षा में ऊषा ने पूरे भारत में 295 वीं रैंक हासिल की थी.


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