
वीर नारायण सिंह को रायपुर के जयस्तंभ चौक पर दी गई थी फांसी
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इतिहासकारों के मुताबिक सोनाखान के युवराज नारायण सिंह घोड़े पर सवार होकर अपनी रियासत का भ्रमण किया करते थे। भ्रमण के दौरान एक बार युवराज को किसी व्यक्ति ने जानकारी दी कि सोनाखान क्षेत्र में एक नरभक्षी शेर कुछ दिनों से आतंक मचा रहा है। प्रजा की सेवा करने में तत्पर नारायण सिंह ने तत्काल तलवार हाथ में लिए नरभक्षी शेर की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने कुछ ही पल में शेर को ढेर कर दिया। उनकी इस बहादुरी से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें वीर की पदवी से सम्मानित किया। इस सम्मान के बाद से युवराज वीरनारायण सिंह बिंझवार के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ने कहा कि छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत वीर नारायण सिंह ने सन् 1857 में देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में छत्तीसगढ़ की जनता में देशभक्ति का की भावना का संचार किया। सन् 1856 के भयानक अकाल के दौरान गरीबों को भूख से बचाने के लिए उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कठिन संघर्ष किया और अपने प्राण न्योछावर कर दिए। शहीद वीर नारायण सिंह के देश की आजादी तथा मातृभूमि के प्रति समर्पण, बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा।
ये भी पढ़ें...[typography_font:14pt;" >रायपुर. छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद वीरनारायण सिंह का शहादत दिवस 10 दिसंबर को है। 1857 में रायपुर के जयस्तंभ चौक पर अंग्रेजों ने वीर नारायण सिंह को फांसी पर लटकाने के बाद तोप से उड़ा दिया था। राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नमन करते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के गौरवशाली इतिहास में छत्तीसगढ़ के वीर सपूत शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा।
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Published on:
10 Dec 2020 01:52 am
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