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Weather : आज बारिश होगी या नहीं.. विदेशी गुब्बारे बता रहे मौसम का हाल, ये तरीका जान पड़ जाएंगे हैरत में…

Weather Update: मौसम विज्ञान केंद्र आसमान में विदेशी गुब्बारे उड़ाकर बता रहा है कि आगामी 12 घंटों में मौसम में क्या बदलाव होगा। बारिश, हवा की दिशा, नमी की मात्रा और तापमान का आकलन किया जा रहा है।

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Weather : आज बारिश होगी या नहीं.. विदेशी गुब्बारे बता रहे मौसम का हाल, ये तरीका जान पड़ जाएंगे हैरत में...

Weather : आज बारिश होगी या नहीं.. विदेशी गुब्बारे बता रहे मौसम का हाल, ये तरीका जान पड़ जाएंगे हैरत में...

weather update राकेश टेंभुरकर@ रायपुर. मौसम विज्ञान केंद्र आसमान में विदेशी गुब्बारे उड़ाकर बता रहा है कि आगामी 12 घंटों में मौसम में क्या बदलाव होगा। बारिश, हवा की दिशा, नमी की मात्रा और तापमान का आकलन किया जा रहा है। इसका सटीक अनुमान लगाने के लिए लालपुर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र से रोजाना सुबह और शाम के समय दक्षिण कोरिया निर्मित गुब्बारे में हाइट्रोजन गैस भरने के बाद इसमें जीपीएस लगाकर छोड़ा जा रहा है। साथ ही कम्पं्यूटर के जरिए मॉनिटरिंग कर मौसम का संभावित अनुमान लगाया जाता है।

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Weather Update: मौसम वैज्ञानिक एच.पी. चंद्रा ने बताया कि मौसम का अनुमान लगाने के लिए विशेष तरह का कोरियन गुब्बारे रोजाना उड़ाए जाते हैं। करीब 5 किमी की ऊंचाई पर जाने के बाद इसमें लगे जीपीएस से आसमान में होने वाली हलचल और हवा की दिशा देखी जाती है। इसका एनॉलिसिस कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

गुब्बारे सबसे सुरक्षित
Weather Update: गुब्बारे में जीपीएस ट्रेकर व रेडियो साउंड व वेब संबंधित सिस्टम उपयोग में लाया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से आसमान में 35 किमी ऊंचाई और लगभग 100 किमी की चौड़ाई में चलने वाली हवा की गति, दिशा, तापमान, आर्द्रता की सटीक गणना सीधे कंप्यूटर पर मिलने लगती है। बैलून में लगा ट्रांसमीटर गणना के आंकड़े मौसम केंद्र में स्थापित जीपीएस सिस्टम को भेजता है। यहां सॉफ्टवेयर की मदद से उन आंकड़ों की विस्तारित जानकारी मिलती है।

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तीन प्रकार के गुब्बारे फिलहाल उपयोग में
Weather Update: फिलहाल तीन अलग-अलग आकार के गुब्बारे प्रयोग में लाए जा रहे हैं। इसमें 17 से 32 ग्राम तक का छोटा, 70 से 150 ग्राम का मध्यम और 500 से 800 ग्राम तक का सबसे बड़ा गुब्बारा है। ये क्षमता के आधार पर 5 किमी से लेकर 35 किमी तक की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं। कई बार यह 200 से 300 किमी की दूरी भी तय करता है। इसमें जीपीएस लगे होने के कारण लगातार संपर्क में रहता है।

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पहले चाइनीज गुब्बारों की ली जाती थी मदद

Weather Update:विज्ञानियों के अनुसार पहले चीन निर्मित गुब्बारों का उपयोग किया जाता था। लेकिन, इसका आकार और वजन अधिक होने के कारण ज्यादा गैस की खपत होती थी। वहीं अधिक तापमान सहन नहीं कर पाने के कारण वह जल्दी फूट जाते थे। उसमें लीकेज की समस्या भी थी। इसे देखते हुए चाइनीज गुब्बारों का उपयोग बंद कर दिया गया है।

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गैस के लिए प्लांट

Weather Update:मौसम विज्ञान केंद्र में हाइड्रोजन गैस बनाने के लिए प्लांट भी बनाया गया है। यहां खास पद्धति से हाइड्रोजन गैस बनाई जाती है। पहले मौसम विभाग हाइड्रोजन गैस मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र या उत्तर प्रदेश से मंगवाता था।

आसमान में होने वाली हलचल, और मौसम का हाल बताने के लिए रोजाना साउथ कोरियन गुब्बारे उड़ाए जाते हैं। इसके उड़ान भरने के बाद कम्प्यूटर से एनॉलिसिस कर पूर्वानुमान बताया जाता है।

-एच.पी. चंद्रा, मौसम वैज्ञानिक लालपुर मौसम विज्ञान केंद्र