
रायपुर. जब कभी आप भारतीय रेलवे से सफर करते होंगे तो उसपर लिखे यूनिक कोड देखते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन के कोचों पर लिखें हुए यूनिक नंबर का क्या मतलब होता है और इसके पीछे की वजह क्या होती और इसे लिखें जाने का पैटर्न क्या है ? यदि आप नहीं जानते हैं तो पढ़िए इस खबर को अंत तक। ट्रेन के कोच पर यह यूनिक नंबर 5 अंकों में लिखा होता है जानिये इस यूनिक कोड के बारे में पूरी डिटेल।
कोच पर लिखे हुए नंबर का मतलब
इस यूनिक कोड के बारे में जानकारी दी जाती है कि इस यूनिका कोड के पहले 2 अंक उस वर्ष को बताते हैं, जिस दौरान इस कोच को बनाया गया था। अंतिम 3 अंक कोच के प्रकार के बारे में जानकारी देते हैं। एक उदाहरण से समझें तो अगर कोच पर कोड 04052 है, तो इसका मतलब है कि कोच 2004 में बनाया गया था, और 052 एसी कोच के बारे में जानकारी देता है। बता दें कि रेलवे की संख्या 1 से 200 AC कोच को प्रदर्शित करता है।
यह हैं नंबर स्लीपर और जनरल कोच के
वहीं संख्या 200-400 स्लीपर कोच को दर्शाता है। अगर किसी कोच पर कोड 98337 है, तो इसका मतलब है कि इसे 1998 में बनाया गया था। नंबर 337 स्लीपर कोच का के बारे में जानकारी देता है। एसी और स्लीपर कोच के बाद संख्या 400-600 का मतलब सामान्य कोच है। इसके अलावा, जनरल कोच का एक और पहचान कि इसमें 3 दरवाजे होते हैं। अगर किसी कोच का नंबर 02615 का मतलब है कि कोच 2002 में बनाया गया था। नंबर 615 जनरल कोच का प्रतिनिधित्व करेगा।
यह नंबर बताता है लगेज वाले डिब्बों के बारे में
संख्या 700-800 बैठने और सामान रखने वाले डिब्बों को दर्शाती है। नंबर 08701 दिखाएगा कि कोच 2008 में बनाया गया था और 701 का मतलब सीटिंग और बैगेज कोच है। यह कोच विकलांग यात्रियों को आवंटित किया जाता है। इनके मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि इस कोच में विकलांग यात्री सुरक्षित रहेंगे क्योंकि उनकी संख्या काफी कम है।
क्या है नंबर चेयर कोच के
साथ अगर किसी कोच पर संख्या 600-700 तक दर्ज है तो यह एक चेयर कार कोच है। चेयर कार कोच का विकल्प का उपयोग तब किया जाता है, जब सभी यात्रियों को समायोजित करना संभव नहीं होता है। चेयर कार कोच में सफर करने के लिए पहले से बुकिंग करनी होती है।
क्या है नंबर पेंट्री कोच के लिए
800 से अधिक संख्याएं दर्शाती हैं कि कोच पेंट्री, जेनरेटर या मेल उद्देश्यों के लिए है। इन कोचों के कोड में लेटर सी भी मौजूद होता है। लेटर सी का मतलब है कि यह सीबीसी कपलिंग है और इसमें कोई साइड बफर मौजूद नहीं है। बफर का उपयोग रेल को ट्रैक पर आगे जाने से रोकने के लिए उपयोग किया जाता है।
Published on:
15 Jun 2022 12:34 pm
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