
बच्चे सिविल डे्रस पहनकर पहुंच रहे स्कूल
थालादिघावन. शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को शासन से विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। जिनमें नि:शुल्क पुस्तकें, मध्यान्ह भोजन, छात्रवृत्ति एवं गणवेश शामिल हैं। इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के पीछे शासन की मंशा बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं हो। मगर विकासखंड के सरकारी स्कूलों में इसके विपरीत स्थिति नजर आ रही है। शैक्षणिक सत्र 2022.23 को गुजरे तीन माह से अधिक का समय हो गया है। अब तक बच्चों को गणवेश नहीं मिल सकी। जिसके चलते सैकड़ों विद्यार्थी सिविल डे्रस पहनकर स्कूल पहुंच रहे हैं।
यहां पर गौर करने वाली बात है कि गणवेश वितरण को लेकर हो रही लेटलतीफी सिर्फ इस बार ही नहीं, बल्कि हर साल देरी की जा रही है। पिछले कुछ वर्षों पर गौर करें तो सत्र का आधे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद सरकारी स्कूलों के बच्चों को गणवेश दी गई। जबकि कई स्कूल ऐसे हैं, जहां पर सत्र समाप्त होने के कुछ समय पहले ही गणवेश का वितरण किया गया है। इस तरह की अव्यवस्था से गणवेश का इंतजार करने वाले बच्चे साल भर परेशान रहते हैं।
पहले से बदली व्यवस्था
यहां बता दें कि पिछले वर्षों से शासन की तरफ से गणवेश तैयार करवाने का जिम्मा आजीविका मिशन को दिया जा रहा है। जबकि पहले विद्यार्थियों के खातों में गणवेश के खरीदने डाल दिए जाते थे। जिससे अभिभावक गणवेश खरीदते थे। हालांकि खातों में रुपए पहुंचने के बाद कई बार देखा गया है कि कुछ अभिभावक बच्चों को गणवेश तक नहीं दिलाते थे। यही वजह रही की सरकार राशि न देकर अब बच्चों को सीधे गणवेश उपलब्ध कराने लगी है। इस बार भी आजीविका मिशन के माध्यम से स्व-सहायता समूहों से गणवेश तैयार करवाई जाएगी। बता दें कि प्रति छात्र 600 रुपए के हिसाब से गणवेश बनवाई जाती है।
अभी लगेगा समय
उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक सत्र प्रारंभ हुए करीब ढाई माह बीत चुके और अब तक छात्रों को गणवेश उपलब्ध नहीं हो सकी। आदेश जारी होने में ही ढाई माह निकल चुके और अब गणवेश की सिलाई होने में भी समय लगेगा। ऐसे में आधा सत्र बीत जाएगा, तब जाकर छात्रों को नि:शुल्क गणवेश मिल सकेगी।
इनका कहना
गणवेश वितरण के संबंध में शासन से आदेश मिलने के बाद आजीविका मिशन के माध्यम से गणवेश तैयार कराईं जाएंगी। इसके बाद ही वितरण होगा।
एसके उपाध्याय, डीपीसी रायसेन।
Published on:
15 Sept 2022 01:09 pm
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