
सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई औपचारिक
राजेश यादव/रायसेन. प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर कक्षा एक से आठवीं तक के सरकारी प्राइमरी, मिडिल स्कूलों में विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करवाने के लिए लगभग चार वर्ष पहले यह व्यवस्था शुरु की गई थी। इस उद्देश्य से जिले के प्रत्येक विकासखंड से एक-एक प्राइमरी, मिडिल स्कूलों का चयन किया गया था। करीब एक-दो वर्ष तो यह व्यवस्था बेहतर चलती रही। अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कराने वाले योग्य शिक्षकों की परीक्षा लेकर उनका चयन हुआ था। करीब दो वर्ष तक यह व्यवस्था बेहतर चलती रही, फिर अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों का इधर-उधर तबादला कर दिया गया तो शिक्षकों के पद खाली हो गए। इसके बाद विभाग के आला अधिकारियों ने नए शिक्षकों की पदस्थापना नहीं कराई। इस कारण सरकारी स्कूलों में संचालित अंग्रेजी माध्यम की प्राइमरी, मिडिल कक्षाएं सिर्फ औपचारिक बनकर रह गई। ऐसे में उन बच्चों के भविष्य पर प्रश्र चिन्ह लग रहा है, जिन्होंने विशेष रुचि रखते हुए अंग्रेजी माध्यम से पढऩे का निर्णय लिया था।
यह है वर्तमान स्थिति
सांच विकासखंड में चार स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करवाने के लिए व्यवस्था शुरु की थी। इनमें जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट कालोनी परिसर के प्राइमरी स्कूल में 70 बच्चे अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कर रहे, यहां फिलहाल दो शिक्षक हैं। पुराना थाना के समीप संचालित मिडिल स्कूल में 70 विद्यार्थी दर्ज हैं। यहां मात्र एक शिक्षक पदस्थ हैं। हालांकि उक्त स्कूल को अब सीएम राइस स्कूल में मर्ज कर दिया गया है। इसी तरह प्राथमिक शाला बनखेड़ी में 65 छात्र दर्ज हैं, मगर यहां मात्र एक शिक्षक पदस्थ है, जबकि दो शिक्षक पदस्थ होना चाहिए। माध्यमिक स्कूल बनगंवा में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करने 155 छात्र-छात्राएं दर्ज हैं। लेकिन वर्तमान में यहां पर एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है।
दोबारा शुरु नहीं की प्रक्रिया
वैसे तो अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करवाने के लिए शिक्षा विभाग को इंग्लिश मीडियम से पढ़कर आए विभागीय शिक्षकों की तलाश थी। लेकिन अंग्रेजी माध्यम से पढ़े व्यक्ति विभाग को नहीं मिले तो दक्षता परीक्षा आयोजित करवाकर शिक्षकों का चयन किया गया था। लेकिन एक-दो वर्ष बाद ये शिक्षक ट्रांसर्फर करवाकर अन्य स्थानों पर चले गए तो शासन ने भी अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भर्ती नहीं की। बस यहीं से व्यवस्था बिगडऩा शुरु हो गया और अब शासन की योजना धीरे-धीरे बंद होने की तरफ पहुंच रही। जबकि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से शहरी एवं ग्रामीण अंचल के गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई नि:शुल्क करवाई जा रही थी।
शुरुआत से आगे नहीं बढ़ी योजना
इन स्कूलों अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक नहीं होने से अब इन बच्चों को हिन्दी माध्यम की पढ़ाई करना पड़ रही है या फिर उन्हें प्राइवेट कोचिगं लेकर अंग्रेजी की पढ़ाई करते हैं। जबकि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को प्राइमरी, मिडिल स्कूल से आगे ले जाकर हाई स्कूल और हायर सेकंडरी की कक्षाओं तक पहुंचाया जाना था। शुुरुआती दौर में विभाग ने इसकी रुपरेखा तैयार की थी, मगर शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने आगे चलकर इस योजना पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया।
इनका कहना
पूर्व में यह योजना शासन ने शुरु की थी, लगभग दो वर्ष तक व्यवस्थित रुप से चलती रही। लेकिन फिर अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की कमी के चलते व्यवधान आ गया। हालांकि अब सरकार ने सीएम राइस स्कूल के साथ नई व्यवस्था शुरु की है। जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
एसके उपाध्याय, डीपीसी जिला शिक्षा केन्द्र रायसेन।
Published on:
12 Sept 2022 12:29 pm
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