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लटकते पंखे, टपकती छत, खतरे में बच्चे

बुरे हालात हैं सांची नगर के स्कूलों के, बारिश के दिनों में भरे पानी से स्कूल आती छात्राएं

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veerendra singh

Jul 23, 2017

Raisen

Raisen


सांची.
नगर के एकमात्र शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल के हालात जब इतने खराब है, तो आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बने शासकीय स्कूलों की कैसी दुर्दशा होगी? इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। स्कूल की बिल्डिंग लगभग 50 साल पुरानी हो चुकी है। उसके रखरखाव के लिए कई बार मोटी राशि खर्च कर चुके हैं। समय-समय पर मरम्मत के बाद भी स्कूल की छत जगह-जगह से टपक रही है। यही हाल छत में लटकते पंखों की है। इस हालत में लगता है कि कहीं कोई बड़ी दुर्घटना होने इतजार स्कूल प्रबंधन कर रहा है।

इस स्कूल में कक्षा एक से बारहवीं तक की कक्षाएं एक समय में ही लगती है। कुल 503 छात्र- छात्राएं है। इन कक्षाओं के लिए अलग-अलग कक्ष निर्धारित हैं। विद्यालय के छात्रों को सबसे अधिक परेशानी बरसात में उठानी पड़ती है। इस दौरान विद्यालय के परिसर समेत आसपास बारिश का पानी जमा हो जाता है। ऐसा लगता है कि टापू पर स्कूल है। इससे कक्ष में जाने के लिए छात्र छात्राओं को कीचड़ और पानी से होकर गुजरना पड़ता है।

स्कूल के आस-पास भरा पानी किसी तालाब से कम नजर नहीं आता है, जिसे निकालने के प्रयास प्रबंधन नहीं किए हैं। बीते 20 सालों में नगर परिषद में चार अध्यक्ष बदले जा चुके हैं, लेकिन इस नगर के स्कूल की दुर्दशा को सुधारने की जहमत किसी ने नहीं उठाई है। आलम यह है कि स्कूल के चारों तरफ लोगों ने अतिक्रमण कर पानी जाने का रास्ता बंद कर दिया है और इस अतिक्रमण को हटाने परिषद के जि?मेदार रुचि नहीं ले रहे हैं। विद्यालय के प्राचार्य संबंधित जिम्मेदारों को पत्र दे-दे देकर परेशान हो चुके हैं। वे कहते हैं कि अब कोई सुनता नहीं ह।

हायर सेकंडरी में बच्चों के लिए 6 विषय शिक्षक नहीं है। इसके बाद भी स्कूल का परीक्षा फल शत-प्रतिशत रहता है, यह बड़ी उपलब्धि है। शिक्षकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित होती है। एैसे में अन्य मौजूद शिक्षकों को अपना डबल समय पढ़ाने में देना पड़ता है। रिक्त पड़े स्थानों को शासन भी नहीं भर रही है। ऐसे हालातों पर सब्जेक्ट के हिसाब से पढ़ाई करना मुश्किल हो रहा है। फिलहाल फिजिक्स, भूगोल, केमेस्ट्री, अंग्रेजी, संस्कृत के टीचर नहीं है।े

सांची की शाला में कक्षा एक से 5 तक 5 टीचर है, वही मिडिल में केवल 2 टीचर मौजूद हैं जबकि छात्रों की संख्या लगभग 107 है। यहां 2016 से इंग्लिश मीडियम चालू तो किया गया, लेकिन एक भी छात्र अध्ययन करने मौजूद नहीं है। जबकि एक शिक्षिका वंदना विश्वकर्मा, सितंबर 2016 से यहां पदस्थ हैं। सोचने की बात है कि शिक्षक है, लेकिन छात्र नहीं है। शिक्षिका डेली विदिशा से सांची स्कूल आकर अपना समय गुजार कर वापस अपने घर चली जाती हैं।

विद्यालय में कुछ ऐसे भी शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं, जो यहां केवल अपना वेतन ले रहे हैं। अपनी मर्जी के मालिक बने हुए हैं। इस संबंध में मैं स्वयं कोई बड़ी कार्यवाही नहीं कर सकता, क्योंकि मैं सक्षम अधिकारी नहीं हूं। जो भी गतिविधियां होती हैं, उनसे लिखित रूप में प्रशासन को अवगत कराया जाता है। ठोस कार्यवाही करना रायसेन में बैठे जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के हाथ में है। इस विद्यालय में कोई ऐसा फंड नहीं आता है, जिससे यहां की व्यवस्थाओं में सुधार किया जा सकें। - डी एन सक्सेना, प्राचार्य, शासकीय उमा स्कूल, सांची