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अब गांवों में नहीं पहुंच रही संजीवनी, अनदेखी से हुई बदहाल

पूर्व सांसद स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने प्रत्येक विधानसभा स्तर पर सांसद निधि से सर्व सुविधायुक्त एंबुलेंस उपलब्ध कराई थी।चार वर्ष से ग्रामीण अंचल के हॉट बाजारों में मरीजों को मिलने वाली इलाज की सुविधा नहीं मिल रही।

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अब गांवों में नहीं पहुंच रही संजीवनी, अनदेखी से हुई बदहाल

अब गांवों में नहीं पहुंच रही संजीवनी, अनदेखी से हुई बदहाल


रायसेन. लगभग आठ वर्ष पहले विदिशा-रायसेन संसदीय क्षेत्र की सांसद रहीं स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने अपनी सांसद निधि से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक सर्वसुविधा युक्त एम्बुलेंस उपलब्ध कराई थी। जिसका सर्किट हाउस में समारोह पूर्वक लोकार्पण भी किया गया था। पूरे संसदीय क्षेत्र में आठ संजीवनी एम्बुलेंस वाहन दिए गए थे। जिसमें रायसेन जिले की तीन विधानसभा सांची, सिलवानी और भोजपुर को यह सौगात मिली थी। प्रत्येक वाहन लगभग 22 लाख रुपए की लागत के बताए जा रहे। इसके पीछे तत्कालीन सांसद स्व. सुषमा स्वराज की मंशा थी कि ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को प्राथमिक उपचार के लिए शहरी क्षेत्र के अस्पताल नहीं आना पड़े। उन्हें अपने गांव में ही बेहतर इलाज समय पर मिले। इन मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से मरीजों को उपचार के साथ नि:शुल्क दवाईयां भी उपलब्ध कराई जाती थी।
मगर पिछले चार वर्ष से जिले के ग्रामीण अंचल में यह सुविधा बंद कर दी गई। क्योंकि इन तीनों वाहनों को जिम्मेदारों ने कंडम हालत में बताकर सीएमएचओ दफ्तर में खड़ा करवा दिया। जबकि सूत्रों का कहना है कि ये वाहन सप्ताह में निरंतर दिन नहीं चले और कुल मिलाकर अब 65 से 70 हजार किमी का सफर तय किया है। ऐसी स्थिति में ही विभाग के अधिकारी और इस कार्य का प्रभार संभाल रहे जिम्मेदारों ने इनके पहिए जाम कर दिए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब इन तीनों वाहनों को नीलाम करने की तैयारी की जा रही है।
दूरस्थ अंचल के लोगों की परेशानी
ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को छोटी बीमारी और समस्याओं को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सहित शहरी क्षेत्र के अस्पतालों एवं प्राइवेट क्लीनिकों पर जाना पड़ रहा। जबकि ये वाहन प्रतिदिन पांच गांवों का भ्रमण कर उस क्षेत्र के हाट बाजार में जाकर खड़े होते थे। जहां मरीजों का उपचार किया जाता था। लेकिन विभागीय अमले की अनदेखी से यह महत्वपूर्ण सुविधा दूरस्थ अंचल के लोगों को नहीं मिल पा रही। क्योंकि इन वाहनों के स्थान पर अब मोबाइल मेडिकल यूनिट की सुविधा नहीं दी जा रही।
निजी कंपनी करती थी संचालन
स्वास्थ्य विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इन तीनों वाहनों के संचालन का जिम्मा एक निजी कंपनी को सौंपा गया था। जिसमें संबंधित विधानसभा क्षेत्र के ब्लॉक मेडिकल आफीसर के समन्वय से विभिन्न ग्रामों और हाट बाजार में संजीवनी वाहनों को भेजा जाता था। बताया जा रहा है कि शुरुआत के दो वर्ष तक तो इस योजना पर जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी निगरानी करते रहे। लेकिन बाद में किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई और लाखों रुपए के वाहन कंडम हो गए। हालांकि अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी वर्तमान में स्वास्थ्य सुविधाओं के बढऩे और जगह-जगह अस्पताल खुलने के बाद इस मोबाइल मेडिकल यूनिट को अनुपयोगी बता रहे।
ये सुविधांए उपलब्ध कराई
सर्वसुविधा युक्त संजीवनी एम्बुलेंस में पैरामेडिकल स्टाफ, एक एमबीबीएस डॉक्टर, नर्स की तैनाती रहती थी। जो अंचल में जाकर मरीजों का उपचार करते थे। इसके साथ ही नि:शुल्क दवाईयां, शुगर एवं मलेरिया जांच की सुविधा भी इन यूनिटों में रखी गई थी। जिससे मरीजों को बुखार, सर्दी-खांसी आदि समस्याएं होने पर तत्काल उचित परार्मश के साथ इलाज की सुविधा दी जा रही थी।
सीधी बात
सीएमएचओ डॉ. दिनेश खत्री से
1-
प्रश्र: क्या कारण है जो सर्वसुविधा युक्त संजीवनी वाहनों को बंद कर दिया गया।
उत्तर-ये तीनों वाहन अब चलने लायक नहीं रह गए, इनका मेंटनेंस भी नहीं हो सकता। इस कारण इन्हें बंद कर दिया गया।
2-प्रश्र:
अब ग्रामीण अंचल में इनके स्थान पर स्वास्थ्य सुविधा के लिए क्या विकल्प रखा गया।
उत्तर-जहां भी आवश्यकता होती है, वहां पर 108 एम्बुलेंस वाहनों को भेजा जाता है।
3-प्रश्र:
मोबाइल मेडिकल यूनिट से पहले ग्रामीणों को आसानी से सुविधा मिल रही थी, अब यह बंद हो गई।
उत्तर-अब ग्रामीण अंचलों में सरकारी अस्पताल खुलने के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हो चुका है। जहां मरीजों को इलाज मिल रहा।
4-प्रश्र:
आमजन के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से विशेष कार्यक्रम क्या है।
उत्तर: गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर लोगों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर उपचार किया जा रहा है। साथ ही नि:शुल्क दवाईयां भी दी जाती है।