
घर की दलहान में लग रहा प्राइमरी स्कूल
सुल्तानगंज. राज्य और केन्द्र सरकार शिक्षा को लेकर भले ही कितने दावे करे, मगर जमीनी स्तर पर उसके दावों की पोल खुल रही है। क्योंकि ग्रामीण अंचल में प्राइमरी, मिडिल स्कूल में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को सुरक्षित स्कूल भवन की सुविधा नहीं मिल पा रही। ऐसे में बच्चों को या तो जर्जर भवन में बैठना पड़ता है या फिर अन्य जगह दहलान या अव्यवस्थाओं केब बीच पढ़ाई करना पड़ रही है। जनपद शिक्षा केंद्र बेगमगंज के संकुल केंद्र सुल्तानगंज के अंतर्गत आने वाली प्राथमिक शाला बेरसला का 22 वर्ष पुराना स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हो चुका है। अभिभावकों ने बच्चों को क्षतिग्रस्त भवन में बैठाने से इंकार कर दिया तो अब स्कूल कच्चे मकान में संचालित हो रहा है। लेकिन यहां भी बच्चों की परेशानी कम नहीं हो पा रही। क्योंकि प्राइमरी स्कूल की कक्षाएं एक कच्चे मकान की दलहान में लग रही हैं। फिलहाल बारिश का मौसम चल रहा है तो आसपास से खुली दहलान में पानी की बौछारें भी आती है। वहीं तेज धूप के दौरान भी बच्चे परेशान होते हैं। जिससे बच्चों को असुविधा हो रही।
उल्लेखनीय है कि लंबे समय से स्कूल भवन निर्माण कराने की मांग की जा रही है, लेकिन किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। सूत्रों के अनुसार जनपद शिक्षा केंद्र बेगमगंज के अंतर्गत दर्जनों स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं। उन्हीं जर्जर बिल्डिगं के अंदर बैठाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
पढ़ाई पर हो रहा असर
ग्रामवासी के मकान की दलहान में कक्षा एक से पांचवी तक सभी छात्रों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई कराई जाती है। पर्याप्त जगह और भवन नहीं होने से गुणवत्ता के साथ पढ़ाई नहीं हो पाती, इसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है। क्योंकि घर इसी के साथ यहां रह रहे परिवार को भी कई बार व्यवधान की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। वहीं ग्रामवासियों को यह चिंता सताने लगी है कि नया स्कूल भवन कब बनेगा। क्योंकि इस तरह दहलान में किस तरह स्कूल संचालित किया जा सकेगा।
समय रहते नहीं बनाया भवन
ग्रामीण संजू कुशवाहा, बखत पूरी, रणधीर चढ़ार ने बताया कि यदि समय रहते स्कूल भवन का निर्माण नहीं कराया गया तो सुचारु रुप से कक्षा संचालित नहीं हो सकेगी। जिस कच्चे मकान की दलहान में बच्चों को पढ़ाया जाता है। वहीं आसपास मवेशियों को बांधा जाता है। पढ़ाई के समय पशु भी वहीं पर रहते और बच्चे वहीं अपनी पढ़ाई करते हैं। ऐसे में बच्चों की आवाजाही के दौरान पशुओं से भय लगा रहता है।
इनका कहना
लगभग एक वर्ष पहले क्षतिग्रस्त स्कूल भवन की लिखित तौर पर संकुल केंद्र, बीआरसी कार्यालय एवं ग्राम पंचायत को जानकारी दे चुके हैं। साथ ही नए भवन के लिए मांग की गई है, लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगी।
अरविंद साहू, शिक्षक प्राथमिक शाला बेरसला।
वर्जन
मौके पर इंजीनियर को भेजकर जांच करवाता हूं, यदि भवन मरम्मत लायक होगा तो मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। यदि भवन पूर्ण रुप से क्षतिग्रस्त है, तब नए भवन निर्माण का प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। शासन से भवन स्वीकृत होने पर निर्माण होगा, फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था देखकर स्कूल को सुचारु रुप से संचालित किया जाएगा।
एसके उपाध्याय, डीपीसी रायसेन।
Published on:
12 Sept 2022 09:35 pm
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