
सावन के महीने में एक साथ 8 बहनों ने भोलेनाथ से विवाह रचाया है, उन्होंने भोलेनाथ को ही अपना जीवन साथी मान लिया है, इस अवसर पर बाजे गाजे के साथ सभी बहनों की भव्य शोभायात्रा निकली, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए, इन सभी बहनों ने मोह माया की दुनिया को छोड़ दिया है, जिसमें से एक ने तो सरकारी नौकरी तक का त्याग कर दिया है।
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की, यहां ब्रह्माकुमारी आश्रम से जुड़ी हुई 8 बहनों ने भगवान शिव को अपना जीवनसाथी स्वीकारते हुए मोह माया के बंधन से दूर हुई। राजगढ़ में यह आयोजन बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया, जिसमें नगर में एक शोभायात्रा भी निकाली गई इस यात्रा में सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष शामिल हुए।
शहर के पारायण चौक से ढोल नगाड़ों के साथ रथ पर सवार होकर ब्रह्माकुमारी बहन लक्ष्मी, बहन वैशाली, बहन राधिका, बहन सुरेखा, बहन प्रीति, बहन अनीता, बहन मधु और संगीता इन आठ बहनों ने अपने संयम पथ पर चलने के लिए उमंग एवं उत्साह के साथ प्रस्थान किया। चारों के रिश्तेदारों ने भी बढ़-चढक़र कलश यात्रा में हिस्सा लिया। गणेश चौक, जेल चौराहा, तिल्ली चौक से मंगल भवन गुजरते हुए यह विशाल यात्रा राज बाग पहुंची। जहां बहनों का भव्य स्वागत हुआ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में संस्था से जुड़े भाई बहनों द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ बधाइयां दी। समाजसेवी प्रताप सिंह सिसोदिया ने सभी अतिथियों का अपने शब्दों से स्वागत करते हुए ब्रह्माकुमारी जीवन में समर्पणता का कितना महत्व है यह समझाया। विश्व सेवा के लिए प्रभु को अर्पित होने वाली चारों बहनों को अभिवादन भी किया। उन्होंने कहा कि जीवन में संयम और त्याग की ही महानता है । भोग तो सभी भोगते हैं, परंतु त्याग में ही सच्चा सुख है। तत्पश्चात ब्रह्माकुमारी मधु दीदी ने आठो ब्रह्माकुमारीयों ईश्वरीय नियमों की प्रतिज्ञा कराई। बहनों द्वारा शिवलिंग पर वरमाला पहनाकर भगवान शिव से पवित्र विवाह की रस्में निभाई। सभी कुमारियों के मात-पिता ने मधु दीदी के हाथ में अपनी बेटियों का हाथ सौंपा। मधु दीदी ने कहा कि जो जीवन में आनंद चाहता है, वह वस्तुओं में, वैभव में, भोगों में, नहीं मिलता । सच्चा आनंद जीवन को प्रभु को अर्पित करने में, श्रेष्ठ विचारों में, त्याग और तपस्या में ही मिलता है। ब्रह्माकुमारी भाग्यलक्ष्मी दीदी ने कहा कि यह कुमारिया इस जन्म में ही नहीं, लेकिन अपने अनेक जन्मों में श्रेष्ठ और सुखी जीवन को प्राप्त कर रही है।
32 साल की सुरेखा शा. सेवा छोडक़र ब्रह्माकुमारी आश्रम से जुड़ी दो भाइयों में एकलौती बहन थी। भगवान का बंधन ऐसा मीठा बंधन है, जो कभी दुख नहीं देते हैं। वह हमें सभी दुख के बंधनों से छुड़ा देते हैं। परमपिता परमेश्वर से रिश्ता जोडऩे के बाद वह हमारे जन्म-जन्मों के लिए भाग्य बना देते हैं। मैं भोलेनाथ पर अपने जीवन को अर्पण करके अपने भाग्य पर गर्व कर रही हूं। मैंने सरकारी सर्विस छोड़ आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा विश्वकल्याण करने के लिए परमात्मा शिव को अपना जीवनसाथी बनाया है।
-बहन सुरेखा दीदी, एमए, डीसीए राजगढ़
अब तक हमने सुना है कि तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति, आज वह संकल्प पूरा हुआ है। आज मैंने भगवान को पति परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया है। दुनिया में लोग बाहरी श्रंगार करते हैं। लेकिन हमने सुख, शांति, प्रेम को अपने जीवन का श्रंगार बनाया है। दृढ़ संकल्प लिया है कि भगवान की सेवा में अपना पूरा जीवन लगाएंगे।
-बहन प्रीति, बीए सारंगपुर
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Published on:
31 Jul 2023 09:44 am
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