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एमपी औषधि पोर्टल से बजट ही गायब, राजगढ़ से एक करोड़ की दवाइयों की डिमांड, फिर भी सीएमएचओ का दावा दवाइयां है!

सरकारी अस्पतालों में कैसे होगा उपचारनियमानुसार 700 तरह की दवाइयां मुहैया करवाने का प्रोटोकॉल, जिले में मिलती है 364 प्रकार की दवाइयां, सभी का टोटा

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सरकारी अस्पतालों में कैसे होगा उपचार,सरकारी अस्पतालों में कैसे होगा उपचार

ब्यावरा.पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित खबर।,ब्यावरा.जिला अस्पताल द्वारा मिशन संचाल को भेजा गया पत्र जिसमें दवाइयों की कमी का उल्लेख है।

ब्यावरा.कफ, कोल्ड और बदलते मौसम वाले दौर में सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का टोटा शुरू हुआ है। खास बात यह है कि प्रदेशभर में आ रही इस किल्लत को विभागीय जिम्मेदार स्वीकारने को ही तैयार नहीं है।
दरअसल, जिला अस्पताल में लंबे समय से आ रही दवाइयों की किल्लत के बावजूद सीएमएचओ का दावा है कि सभी दवाइयां उपलब्ध है? जबकि एमपी के ओषधि पोर्टल से दवाइयों का बजट ही गायब है। वहां जीवन रक्षक दवाइयों सहित अन्य की जानकारी तक नहीं मिल पा रही। ऐसे में शुक्रवार को जिला अस्पताल द्वारा करीब एक करोड़ रुपए की बजट डिमांड दवाइयों के लिए शासन को भेजी गई है। इसमें 80 लाख रुपए की फ्री ड्रग और 20 लाख की कंज्यूमेबल (बाहर से ली जा सकने वाली दवाइयां जैसे- हैंड वॉश, ग्लब्स, निडिल, सीरिंज इत्यादि) ड्रग की मांग शासन से की गई है। यानि प्रदेशस्तर पर दवाइयों का बजट गड़बड़ाया हुआ है। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती तस्वीर और लगातार आ रही दवाइयों की दिक्कतों को लेकर पत्रिका ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद विभाग ने जल्दबाजी में यह मांग पत्र शासन को भेजा, लेकिन खुद गलती स्वीकारने को तैयार नहीं।

पत्र जारी हुआ फिर भी कमी नहीं स्वीकार रहा विभाग
जिले में दवाइयों को लेकर सीएमएचओ भले ही मीडिया के सामने विभागीय खामियां उजागर नहीं करना चाहते हों लेकिन उन्हीं के द्वारा मिशन संचालक मप्र शासन को भेजे गए पत्र में इसका जिक्र किया गया है। इसमें उल्लेख है कि एमपी औषधि पोर्टल पर दवाइयां खरीदने के लिए बजट ही उपलब्ध नहीं है। बजट बिल्कुल समाप्त हो चुका है। समस्त जीवन रक्षक औषधियां, ईडीएल ड्रग, आईवी फ्लूड, एआरवी इंजेक्शन, टॉक्साइड, एंटी रैबिज सहित अन्य दवाइयां भी नहीं है। पत्र में लेख है कि आगामी दिनों में और भी संक्रामक बीमारियों के मरीज आएंगे, ऐसे में उन्हें मैनेज कैसे करेंगे? बजट नहीं होने से ऑनलाइन क्रयादेश जारी नहीं हो पा रहे हैं। अत: ८० लाख की फ्री ड्रग और 20 लाख की कंज्यूमेबल ड्रग का बजट जारी करवाएं और महत्वपूर्ण एंटीबॉयोटिक, एआरवी इंजेक्शन का दर अनुबंध एमपी औषधि पोर्टल पर जारी करें।
36४ दवाइयों की मैपिंग, लेकिन वे भी नहीं
स्वास्थ्य विभाग के प्रोटोकॉल के हिसाब से ७०० तरह की दवाइयों की उपलब्धता होना चाहिए लेकिन जिला अस्पताल में लगभग 36४ प्रकार की दवाइयों की मैपिंग है। ये ३६४ प्रकार की दवाइयां ईडीएल (इसेंशनल ड्रग लिस्ट) होती है, जो कि आसानी से मिल जाती हैं लेकिन ये कई दिनों से उपलब्ध नहीं है, है भी तो काफी कम मात्रा में है। इन ईडीएल में तमाम जीवन रक्षक जरूरी दवाइयां शामिल हैं लेकिन यही पहुंच से बाहर है।
पर्याप्त दवाइयां, परचेस ऑर्डर जनरेट हो सकता है
परचेस ऑर्डर जनरेट करने में कोई दिक्कत नहीं है, कोई भी कर सकता है। पैमेंट को लेकर दिक्कत है वह कुछ सिक्योरिटी रिजन है। दवाइयों का क्राइसेस नहीं है, हमारे पास पूरा स्टॉक है। मैं राजगढ़ का स्टॉक चेक करवाता हूं। ये लोग अनावश्यक हरकतें कर रहे हैं, मैं इन पर ही कार्रवाई करूंगा।
-जे. विजय कुमार, प्रभारी मिशन डायरेक्टर, एनएचएम, भोपाल
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