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बेकसूर लोग चिल्लाते रहे लेकिन महिला कलेक्टर ने एक न सुनी और करवा दिया थाने में बंद

  -जिला मुख्यालय पर हाईवे पर गौ संरक्षण करने वालों को धारा-144 के उल्लंघन में थाने बैठाए रखा, बाद में पता चला सीईओ जनपद ने ही उन्हें भेजा था

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rajgarh

ब्यावरा। गायों की दुर्दशा का वास्तविक शिकार लोगों को पकडऩे में नाकाम हो चुका प्रशासन अब अपने ही लोगों को पकडऩे में लगा है। राजगढ़ जिला मुख्यालय पर जालपा मंदिर के आस-पास हाईवे से गाय भगाकर एक जगह बैठाने वाले Youth locked up in police station तीन युवकों ने कलेक्टर collector ने खुद पकड़कर लाईं और थाने भेज police station दिया। वे चिल्लाते रहे कि उन्हें सीईओ और पंचायत ने ही भेजा लेकिन उनकी एक न सुनी। शनिवार की रातभर उन्हें वहीं बैठाए रखा। सुबह जब सीईओ ने यह स्वीकारा कि इन्हें पंचायत ने तय राशि में सड़क से गाय हटाने के लिए रखा है तब जाकर उन्हें छोड़ा, लेकिन रातभर बिना किसी अपराध के बच्चे थाने में ही रहे।

प्रकरण भी दर्ज किया जा रहा
दरअसल, राजगढ़ जिले में इन दिनों गायों को अवारा छोडऩे पर धारा-144 लागू है। इसके तहत गाय को यहां-वहां छोडऩे वालों को अपराधी बनाया जा रहा है, उनके खिलाफ उल्लंघन की धारा-188 का प्रकरण भी दर्ज किया जा रहा है।

गाय रोड से भगा रहे हैं
इसके अलावा कलेक्टर ने सुनिश्चित किया है कि तमाम ब्लॉक के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे फील्ड में जाकर गाय पकड़े। इसके तहत तहसीलदार, नायब-तहसीलदार और सीईओ ने अपने अधिनस्थ कुछ कर्मचारियों को लगा रखा है जिसमें वे फील्ड में जाकर गाय रोड से भगा रहे हैं और एक नीय स्थान पर पहुंचा रहे हैं।

इसी कड़ी में राजगढ़ के पास हाईवे पर कुछ गायों को भगाकर एक नीयत स्थान पर ले जाता देख कलेक्टर ने तीन युवकों को धारा-144 के उल्लंघन के संदेह पर पकड़ लिया। शनिवार रात ही तीनों को राजगढ़ कोतवाली पहुंचा दिया। इस बीच तीनों युवक चिल्लाते रहे कि हमें छोड़ दीजिए हमें सरपंच, सचिव ने ही गाय पकडऩे भेजा है लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी और बिना किसी अपराध के उन तीनों को रातभर थाने में ही बिताना पड़ी।

बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया गया
सुबह सीईओ के हस्तक्षेप के बाद थाना प्रभारी ने उन्हें छोड़ा। बाद में जब सभी को पता चला तो उन पर बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया गया। वहीं, प्रशासन अपनी खानापूर्ति के लिए कुछ प्रकरण धारा-144 के उल्लंघन के लिए 188 के बना रहा है।


थाने ले जाना जरूरी रहता
इधर, प्रशासन का तर्क है कि रोड पर घूमने वालों की हमें थोड़े पता रहता है कि वे क्यों घूम रहे। इसलिए उन्हें थाने ले जाना जरूरी रहता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस हत तक प्रशासन गायों के संरक्षण में सफल हो पाए हैं।

इधर, तहसीलदार से लेकर सीएमओ रात 11 बजे तक जुटे
कलेक्टर के निर्देश के बाद जिलेभर में गायों की दशा सुधारने संबंधित अधिकारी-कर्मचारी फील्ड पर हैं। सीईओ, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, नपा सीएमओ और तमाम पटवारियों का दल अलग-अलग जगह तैनात रहकर गाय भगाने में जुटे हैं।


झूंड में रहने वाली गायों को नीयत स्थान पर शिफ्ट कर उनके फोटो वरिष्ठ अधिकारियों को वाट्स-एप कर रहे हैं। गाय भले ही भागे या न भागे, शिफ्ट हो या न हो लेकिन संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों का फोटो खींचना बेहद जरूरी है।


सड़क पर कैसे पता चलेगा
यह दो दिन पहले की बात है, उन्हें छोड़ भी दिया गया। उन्हें सरपंच, सचिव ने रखा था जिसकी हमें जानकारी नहीं थी। यदि हमें निकलते में पता चल रहा है कि गायों को कोई छेड़ रहा या ले जा रहा है तो उसी आधार पर तो हम पकड़ेंगे और ले जाएंगे। बाद में पता चला तो छोड़ दिया।
निधि निवेदिता, कलेक्टर, राजगढ़


अगले दिन छोड़ दिया था
रात के समय कलेक्टर मेम तीन युवकों को लेकर आई थीं, उन्हें रातभर थाने रखा था। अगले दिन हमें पता चला कि वे पंचायत विभाग ने ही लगाए हैं तो उन्हें तफ्तीश कर छोड़ दिया गया। छोड़ दिया इसलिए उनकी लिखा-पढ़ी हमने नहीं की।
जे. बी. राय, टीआई, सिटी कोतवाली, राजगढ़

मैं पूछकर बताता हूं
हमने सरपंच, सचिवों को बोला है कि अपने स्तर पर गायों के संरक्षण के लिए कर्मचारी रख लें। वे तीन लोग कौन हैं जिन्हें थाने में रखा इस बारे में टीआई ही अच्छे से बता सकते हैं, फिर भी मैं पूछकर बताता हूं।
महावीर जाटव, सीईओ, जनपद, राजगढ़