संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के परिणामों पर गौर करें तो काफी कुछ अंतर देखने को मिला है। चौंकाने वाले तथ्य यह है कि विस चुनाव में तो कांग्रेस मजबूत रही है पर लोकसभा के चुनाव में कब्जा वाले विस सीटों में भी हार का मुंह देखना पड़ा है।
2019 के विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस आठ में से सात विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही, तो वहीं लोकसभा चुनाव आते ही भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडेय 1 लाख 11 हजार से अधिक वोटों के भारी अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू को हरा दिए थे। अभी हाल ही में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो आठ में से पांच में कांग्रेस का कब्जा है, तो वहीं राजनांदगांव, कवर्धा और पंडरिया सीट में भाजपा विजयी हुई है। 2013-14 में विस व लोकसभा चुनाव की बात की जाए, तो भी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की अधिक सीट होेने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी अभिषेक सिंह जीतकर दिल्ली पहुंचे थे। क्या राजनांदगांव सीट में फिर से इतिहास दोहराया जाएगा? या फिर कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मिथ्या को तोड़ देंगे। इसका फैसला 4 जून को सामने आएगा। बहरहाल दोनों ही पार्टी जीत के लिए एड़ी, चोटी का जोर लगा रहीं हैं।
राजनांदगांव में पिछले तीन पंचवर्षीय में भाजपा-कांग्रेस की वोट शेयरिंग 2019 लोकसभा भाजपा 50.68% कांग्रेस 42.11% अन्य 6.55% 2014 लोकसभा भाजपा 54.61% कांग्रेस 34.59% अन्य 3.06%
2009 लोकसभा भाजपा 52.70% कांग्रेस 38.36 अन्य 4.12% बदलाव के क्या हैं कारण ‘पत्रिका’ द्वारा राजनीतिक जानकारों और विशेषज्ञाें से इस संबंध चर्चा की गई । इसमें यह समझ आया कि विधानसभा चुनाव में जहां लोकल मुद्दे, समस्या और पार्टी की घोषणा पत्र के साथ प्रत्याशी की छवि को देखकर मतदाता अपना वोट करते हैं। वहीं जैसे ही लोकसभा चुनाव की बात आती है, तो राष्ट्रीय मुद्दों पर मतदाता घिर जाते हैं। यह भी एक कारण है।
और परिणाम भाजपा के पक्ष में आया था राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा चुनाव हैं। पिछले विधानसभा 2018 चुनाव में जहां कांग्रेस सात विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रही थी, एक मात्र राजनांदगांव सीट में डॉ. रमन सिंह जीतने में कामयाब हुए थे। इसके बाद भी लोकसभा चुनाव में परिणाम भाजपा के पक्ष में आया था।
इसलिए कांग्रेस को भरोसा संसदीय क्षेत्र के आठ में से पांच विस में कांग्रेस विधायक हैं। डोंगरगढ़, डोंगरगांव, मोहला-मानपुर, खुज्जी और खैरागढ़ सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। राजनांदगांव जिले से दो नए जिले कांग्रेस कार्यकाल में ही अस्तित्व में आए हैं। यही कारण है कि कांग्रेस राजनांदगांव संसदीय सीट को जीतने का दम भर रही है और यहां से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ही प्रत्याशी के रूप में उतारा गया है।