
बच्चों के पास फोन नहीं, गांवों में नेटवर्क की समस्या, कैसे होगी ऑनलाइन पढ़ाई
राजनांदगांव. लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई न छूटे इसके लिए ऑनलाइन क्लास चलाने का निर्देश तो जारी हो गया, लेकिन बच्चों का ऑफलाइन होना शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गया है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन क्लास के संचालन में समस्या आ रही है। कई शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण जगहों में शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले ज्यादातर पालकों व छात्रों के पास एंड्राएड फोन नहीं है। ऐसे में वे ऑनलाइन क्लास में शामिल ही नहीं हो पा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग से २० अप्रैल से ऑनलाइन क्लास शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें सभी शासकीय, सहायता प्राप्त व प्राइवेट स्कूलों के प्राचार्यों को बच्चों को वाट्सएप ग्रुप से जोड़कर ऑनलाइन कक्षाएं लेने का आदेश दिया गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में छात्रों को इससे जोड़ पाने में कठिनाई हो रही है। वहीं शिक्षकों का कहना है कि विद्यालय के रिकॉर्ड में जो नंबर हैं उसमें कई छात्रों के पास खुद का फोन ही नहीं है, जिनके पास है भी तो वे एंड्राएड फोन प्रयोग नहीं करते, ऐसे में बच्चों को किस तरह ऑनलाइन पढ़ाया जाए।
ऑनलाइन क्लास में सबसे ज्यादा चुनौती शासकीय विद्यालयों के सामने है। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल के रिकॉर्ड से बच्चों के नंबरों को वाट्सएप ग्रुप पर जोड़ा जा रहा है लेकिन, वाट्सएप चलाने वाले छात्र न के बराबर हैं। ऐसे में सभी बच्चो को ऑनलाइन पढ़ाने में समस्या सामने आ रही है।
सोशल मीडिया पर चल रहा विरोध
कोरोना लॉक डाउन के चलते बंद पड़े सरकारी स्कूलों के बच्चों की भी ऑनलाइन पढ़ाई होगी। समग्र शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को इसकी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं विभाग के इस फैसले का सोशल मीडिया पर विरोध भी शुरू हो गया है। विरोध करने वालों के अनुसार ज्यादातर सरकारी स्कूलों के बच्चे गरीब घरों से हैं, जिनके पास मोबाइल नहीं है। समग्र शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को ऑनलाइन शिक्षण कार्य कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्कूल बंद होने से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो रही है। शिक्षकों का मार्गदर्शन न मिलने के कारण वह घर पर भी पढ़ नहीं कर पा रहे हैं।
होमवर्क भी कराने का निर्देश
उन्होंने कहा कि सभी विषय अध्यापक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर उसमें छात्र-छात्राओं को सम्मिलित करेंगे और रोजाना विषय से संबंधित होमवर्क देंगे। ऑनलाइन पढ़ाई कराने से शिक्षक विषयवार वीडियो क्लिप बनाकर ऑनलाइन छात्र-छात्राओं को उपलब्ध करा सकते हैं।
उपयोगी नहीं हो रहा कान्सेप्ट
जानकारों के अनुसार शिक्षा विभाग ने केवल प्राइवेट स्कूलों की नकल करते हुए यह निर्देश जारी किए हैं। ज्यादातर सरकारी स्कूलों के बच्चे गरीब परिवारों से हैं और उनके पास स्मार्ट फोन नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई का कांसेप्ट उनके लिए उपयोगी नहीं होगा। सरकारी स्कूलों की दशा किसी से छिपी नहीं है। एक तरफ जहां गांव मजरों के बच्चों को स्कूल लाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। खेत खलिहानों में शिक्षक बच्चों को तलाशते घूमते हैं। तब जाकर कहीं बच्चों का स्कूल जाना होता है। अब लॉकडाउन के समय जब शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने की बात कर रहे हैं, तो इसके लिए बिना तैयारियों के सेना मैदान में उतार देने जैसी बात है।
बच्चों का मोबाइल नंबर ही नहीं
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के पास बहुत से विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के नंबर ही नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई बहुत ही संकट आ गया है। सबसे बड़ी मुसीबत ई-कंटेंट तैयार करने को लेकर खड़ी हो सकती है। कारण कि अन्य बोर्ड की अपेक्षा छत्तीसगढ़ बोर्ड के टीचर्स सोशल मीडिया फें्रडली नहीं है। उधर विभाग ने अब सभी शिक्षकों से ई-कंटेंट बनाने का निर्देश दे दिया है। इसका कितना असर होगा यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा।
समस्या से अवगत कराया गया है
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद गुप्ता, जिला अध्यक्ष गोपी वर्मा, जीवन वर्मा सचिव, हंसकुमार मेश्राम कोषाध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष चन्द्रिका यादव ब्रिजेश वर्मा, देवेन्द्र साहू फ्लेश साहू सहित अन्य ने कहा है कि शासन को उपरोक्त समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित कराया जा चुका है।
मामले में जिला शिक्षा अधिकारी एचआर सोम का कहना है कि जिनके पास एंड्राइड मोबाइल, नेट और नेटवर्किंग की सुविधा है, वे बच्चे इसका उपयोग कर रहे है, जिनके पास यह सुविधा उपलब्ध नहीं है, उनके लिए दूसरा विकल्प तलाशा जा रहा है। एप में पठन-पाठन की पर्याप्त मटेरियल उपलब्ध है।
Published on:
22 Apr 2020 08:11 pm
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