
rajsamand
रेलमगरा।झीलों की
नगरी, उदयपुर में हिन्दुस्तान जिंक की ओर से करोड़ों की लागत से एसटीपी (स्टूल
ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित होने के बाद अब मातृकुण्डिया बांध से पानी का औद्योगिक
इस्तेमाल बंद हो जाएगा। प्रतिदिन करीब 20 हजार क्यूबिक मीटर पानी का उपयोग जिंक
करता है, जो अब पीने के काम आ सकेगा।
उदयपुर शहर से निकलने वाले दूषित
पानी को से रोकने के लिए शहरवासियों को अब निजात मिल सकेगी। हिन्दुस्तान जिंक ने
उपचारित पानी को जिंक की दरीबा माइंस तक पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है। उदयपुर
प्लान्ट से पानी की आपूर्ति शुरू होने के बाद मातृकुण्डिया बांध पेटे से पानी का
दोहन बंद कर दिया गया है। अब तक जिंक के दरीबा प्लांट में मातृकुण्डिया बांध के
पानी का उपयोग होता था। बांध के पानी का उपयोग ग्रामीणों के हलक तर करने के लिए
किया जा रहा है।
जिंक प्रबंधन ही क्षेत्र के राजपुरा गांव में
मातृकुण्डिया बांध से पेयजल आपूर्ति करने लगा है। इसके लिए जिंक ने पाइप लाइन बिछाई
हुई है। इस पानी को आधुनिक तकनीक से परिशोधित कर नलों से राजपुरा गांव में दिया जा
रहा है।
बढ़ेगा भूजल स्तर
रेलमगरा तहसील क्षेत्र के जलग्रहण
क्षेत्र में बरसाती पानी प्राकृतिक नालों से मातृकुण्डिया बांध में पहुंचता है,
वहीं मुख्य स्त्रोत बनास नदी है। नदी में आवक नहीं होने की दशा में भी कैचमेन्ट
एरिया से बहने वाले पानी से बांध में काफी पानी पहुंच जाता है, जिसे अब तक दरीबा
माइंस एवं प्लान्ट के उपयोग में लिया जाता था। प्रतिदिन 20 हजार क्यूबिक मीटर पानी
का दोहन होता था। बांध में पानी रहने से भूजल स्तर में काफी इजाफा हो सकेगा।
क्षेत्र के काश्तकारों ने इसका स्वागत किया है।
मातृकुण्डिया बांध के पानी
का उपयोग राजपुरा में पेयजल के लिए किया जा रहा है। एसके माईन्स में उत्पादन क्षमता
बढ़ाने के लिए ईजाजत मिलती है तो निश्चित रूप से क्षेत्र में रोजगार के अवसर
बढेंगे। उदयपुर में एसटीपी प्लांट शुरू कर दिए जाने से माईन्स को पर्याप्त पानी की
आपूर्ति सुचारू हो गई है वहीं झीलों को दूषित पानी से बचाया जा सक रहा
है।राजेन्द्रप्रसाद दशोरा, लोकेशन हैड, दरीबा माइंस
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