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सब्जी मंडी में मानसून का तूफान… कीमतें छूने लगी आसमान, जानिए आज का बाजार हाल

जैसे ही मानसून ने दस्तक दी, लोगों को गर्मी से राहत तो मिली, लेकिन रसोईघर का बजट बिगाड़ दिया। मानसून की पहली फुहारों के बाद सब्जियों के दाम अचानक तीन से चार गुना तक बढ़ गए हैं। शहर की सब्जी मंडियों में हरी सब्जियों की आवक कम हो गई है, जिससे हर गृहिणी की चिंता बढ़ गई है।

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सब्जियों की कीमतों ने बिगाड़ा घर का बजट, फोटो एआइ

सब्जियों की कीमतों ने बिगाड़ा घर का बजट, फोटो एआइ

Rajsamand: जैसे ही मानसून ने दस्तक दी, लोगों को गर्मी से राहत तो मिली, लेकिन रसोईघर का बजट बिगाड़ दिया। मानसून की पहली फुहारों के बाद सब्जियों के दाम अचानक तीन से चार गुना तक बढ़ गए हैं। शहर की सब्जी मंडियों में हरी सब्जियों की आवक कम हो गई है, जिससे हर गृहिणी की चिंता बढ़ गई है। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि अगले दो महीनों तक राहत की उम्मीद कम ही है। बरसात में खेतों से ताजा हरी सब्जियाँ कम निकलती हैं, क्योंकि पानी और कीचड़ के चलते कटाई-बिक्री में दिक्कतें आती हैं। इसका सीधा असर आम आदमी की थाली पर पड़ रहा है।

कहां जाएं आम लोग

सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि बारिश में खेतों में पानी भर जाता है, कीड़े लगने का डर रहता है और ट्रांसपोर्टेशन भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मंडियों में माल नहीं पहुँचता। इसका फायदा कुछ लोग जमाखोरी कर उठाते हैं और दाम आसमान पर पहुंच जाते हैं। स्थानीय निवासी बताते हैं कि पहले जो सब्जी विक्रेता गली-मोहल्लों में ठेला लेकर सब्जियां बेचते थे, अब उनमें से कई ने बारिश में दुकान ही बंद कर दी है, क्योंकि उन्हें भी घाटा हो रहा है। अब लोगों के पास सिर्फ इतना विकल्प बचा है कि या तो सूखा राशन ज्यादा इस्तेमाल करें या फिर महंगी सब्जियों के साथ समझौता करें।

दस दिन में दाम हुए दोगुने-तिगुने

स्थानीय सब्जी विक्रेता संदीप प्रजापत बताते हैं कि बारिश शुरू होने से पहले जो हरी सब्जियाँ 10-20 रुपए किलो बिक रही थीं, वही अब 60 से 140 रुपए किलो के भाव में बिक रही हैं। महज दस दिनों में ही आलू-प्याज के दाम भी तेजी से चढ़ गए हैं। हालत ये हो गई है कि कई सब्जी विक्रेताओं ने तो दुकानों के शटर तक गिरा दिए हैं, क्योंकि मंडी में माल ही नहीं पहुंच रहा। लोगों को अब सौ रुपए में एक वक्त की सब्जी निकालना मुश्किल हो गया है। पहले तेज गर्मी ने सब्जियों को झुलसा दिया, अब बरसात ने खेतों में पानी भरकर उत्पादन घटा दिया। मांग ज्यादा है, लेकिन माल कम- यही वजह है कि बाजार में हरी सब्जियों के साथ आलू-प्याज भी महंगे हो गए हैं।

कब मिलेगी राहत

सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि जब तक बारिश कमजोर नहीं पड़ेगी और खेतों से फसल नहीं निकलेगी, तब तक राहत की उमीद नहीं है। अगले दो महीनों तक बाजार में दाम ऐसे ही ऊँचे रहने की संभावना है। ऐसे में आम आदमी को अभी रसोई का खर्च संभालने के लिए अपनी जेब और ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।

बाजार में महंगाई की तस्वीर

टमाटर - 60 रु./किलो
भिंडी - 60 रु./किलो
ग्वार गोभी - 80 रु./किलो
फली - 140 रु./किलो
हरी मिर्च - 100 रु./किलो
प्याज - 45 रु./किलो
आलू - 20 रु./किलो
लौकी - 60 रु./किलो
बैंगन - 120 रु./किलो
तुरई - 140 रु./किलो
हरा धनिया - 120 रु./किलो
अदरक/लहसुन - 120 रु./किलो
नींबू - 60-80 रु./किलो
शिमला मिर्च - 120 रु./किलो
पालक - 60 रु./किलो
इनके अलावा अरबी, करेला, परमल, जमीकंद जैसी सब्जियाँ भी 80 रुपए किलो से ऊपर बिक रही हैं।