संसद में केसरिया ग्रीन मार्बल से चमकता नजर आएगा। जिस केसरिया ग्रीन मार्बल का इस्तेमाल इस भवन में हुआ है, उसका खनन सिर्फ उदयपुर के ऋषभदेव क्षेत्र में ही होता है। यह ऋषभदेव क्षेत्र के अलावा कहीं भी नहीं पाया जाता। देश-दुनिया में इसकी खासी मांग रहती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि 160 करोड़ साल पहले के भूगर्भीय बदलाव से केसरिया ग्रीन मार्बल बना। देश-दुनिया में पहचान रखने वाला केसरिया ग्रीन मार्बल देश के कुल उत्पादन का 90 फीसदी खनन ऋषभदेव क्षेत्र में होता है। भूविज्ञानी बताते हैं कि जिसे ग्रीन मार्बल कहा जाता है, वह मार्बल नहीं है, बल्कि एक कायान्तरित शैल है, जिसको सर्पेटिनाइट कहा जाता है। बड़ी बात ये कि यह मार्बल की तरह कट जाता है और पॉलिश भी ले लेता है।