
एआई से बनाई गई प्रतीकात्मक फोटो
मधुसूदन शर्मा
राजसमंद. राज्य सरकार की तबादला नीति को लेकर ढुलमुल इच्छाशक्ति का सबसे बड़ा खामियाजा शिक्षा विभाग के सबसे बड़े वर्ग तृतीय श्रेणी शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। दिल्ली में जहां हर साल शिक्षकों के तबादले होते हैं, कर्नाटक और बिहार में हर पांच साल में प्रक्रिया पूरी की जाती है, वहीं राजस्थान में पिछले 7 साल से तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले पूरी तरह ठप पड़े हैं। स्थिति यह है कि राज्य सरकार की 100 दिन की कार्ययोजना में शामिल स्थायी तबादला नीति का ड्राफ्ट दो साल बाद भी तैयार नहीं हो पाया, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में सिर्फ 10 महीने में बनी सरकार ने ग्रेड थर्ड शिक्षकों की तबादला नीति को मंजूरी दे दी।इस तुलना ने राजस्थान के शिक्षकों के धैर्य की परीक्षा को और कठिन बना दिया है। सरकार की उदासीनता से शिक्षक संगठनों में गहरी हताशा के साथ-साथ आक्रोश भी चरम पर पहुंचता दिख रहा है। अंदरखाने आंदोलन की सुगबुगाहट अब खुलकर महसूस की जाने लगी है।
राजस्थान में तबादला नीति की कहानी नई नहीं है। इसकी कवायद 1994 से लगातार चल रही है, लेकिन अब तक यह सिर्फ फाइलों और बैठकों तक ही सीमित रही है।
दिसंबर 2023 में बनी भाजपा सरकार ने इसे 100 दिन की कार्ययोजना में शामिल जरूर किया, लेकिन 31 साल बीत जाने के बावजूद नीति धरातल पर नहीं उतर पाई। नतीजा—शिक्षकों का इंतजार और लंबा होता चला गया।
जहां राजस्थान में तबादला नीति कागजी औपचारिकताओं में उलझी है, वहीं अक्टूबर 2024 में बनी हरियाणा सरकार ने महज 13 महीनों में ग्रेड थर्ड शिक्षकों की तबादला नीति को मंजूरी देकर लागू कर दिया।
इस फैसले ने राजस्थान के शिक्षकों के आक्रोश को और भड़का दिया है। हाल में हुए शिक्षक अधिवेशनों और बैठकों में भी यह सवाल खुलकर उठा कि “जब हरियाणा कर सकता है, तो राजस्थान क्यों नहीं?”
वर्तमान राज्य सरकार का कार्यकाल दो वर्ष पूरा कर चुका है, लेकिन प्राचार्य को छोड़ दें तो एक भी शिक्षक का तबादला नहीं हुआ। न नीति बनी, न प्रक्रिया शुरू हुई। इसके उलट:-
इधर, तबादलों की राह में अब जनगणना एक नया रोड़ा बनती नजर आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, जनगणना कार्य में शिक्षकों की ड्यूटी लगने पर तबादलों पर आचार संहिता जैसे हालात बन सकते हैं। इसका सीधा असर विशेष रूप से तृतीय श्रेणी शिक्षकों पर पड़ेगा और प्रक्रिया कम से कम डेढ़ साल और टलने की आशंका है।
| भर्ती वर्ष | नियुक्तियां (संख्या) |
|---|
| 2011 | 39,000 |
| 2012 | 20,000 |
| 2015 | 15,000 |
| 2017 | 54,000 |
| 2021 | 15,500 |
| 2022 | 48,000 |
| 2026 | 7,759 (प्रस्तावित) |
शिक्षक संगठनों का कहना है कि यदि राज्य सरकार वास्तव में सरकारी स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारना चाहती है, तो उसे स्थायी तबादला नीति तुरंत लागू करनी होगी और सबसे पहले तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले करने होंगे।
स्थायी तबादला नीति बने और तृतीय श्रेणी शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरण मिले, तभी प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिल सकेगी।
मोहर सिंह सलावद, प्रदेशाध्यक्ष, शिक्षक संघ (रेस्टा), राजस्थान
Published on:
31 Dec 2025 12:34 pm
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