31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शिक्षा सत्र में बदलाव का असर: बीएलओ शिक्षकों को आधे दिन स्कूल में उपस्थिति की छूट, पढ़ाई पटरी पर रखने की कवायद

राज्य सरकार द्वारा शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू किए जा रहे नए प्रावधानों की गूंज मौजूदा शिक्षा सत्र में ही सुनाई देने लगी है।

2 min read
Google source verification
Rajasthan Education department

फाइल फोटो पत्रिका

राजसमंद. राज्य सरकार द्वारा शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू किए जा रहे नए प्रावधानों की गूंज मौजूदा शिक्षा सत्र में ही सुनाई देने लगी है। स्कूल शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार के उस फैसले का असर अब ज़मीनी स्तर पर साफ दिख रहा है, जिसके तहत शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 1 जुलाई के बजाय 1 अप्रैल से की जाएगी। इस बदलाव के चलते वर्तमान सत्र की समय-सारिणी में बड़ा फेरबदल हुआ है और कुल शैक्षणिक दिवसों में लगभग 20 से 22 दिन की कटौती हो गई है।

हालांकि शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि दिनों की इस कटौती के बावजूद पाठ्यक्रम में किसी तरह की कमी नहीं की जाएगी। लेकिन व्यवहारिक स्तर पर स्थिति चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की परीक्षाएं अब फरवरी से शुरू होनी हैं, जिससे शिक्षकों पर तय समय में पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाने का दबाव पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है।

बीएलओ ड्यूटी ने बढ़ाई मुश्किलें

स्थिति को और जटिल बना रही है यह हकीकत कि बड़ी संख्या में शिक्षक निर्वाचन कार्यों के तहत बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मतदाता सूची से जुड़े इस अहम प्रशासनिक कार्य में लगे शिक्षकों की कक्षाओं से अनुपस्थिति का सीधा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। शिक्षा जगत में यह चिंता भी व्यक्त की जा रही है कि यदि यही हाल रहा तो अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तरह वार्षिक परीक्षा भी अधूरे पाठ्यक्रम के आधार पर करानी पड़ सकती है।

पाठ्यक्रम पूरा कराना सर्वोच्च प्राथमिकता

इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने सभी जिला कलक्टरों को एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है। पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि परीक्षाएं शुरू होने से पहले हर हाल में पाठ्यक्रम पूरा कराया जाना अनिवार्य है, ताकि परीक्षा परिणामों पर नकारात्मक असर न पड़े और विद्यार्थियों को पूरा लाभ मिल सके।

इस उद्देश्य से एक बड़ा निर्णय लेते हुए बीएलओ के रूप में कार्यरत शिक्षकों को आधे दिन विद्यालय में उपस्थित रहने की छूट प्रदान की गई है। यानी निर्वाचन संबंधी जिम्मेदारियों के साथ-साथ शिक्षक अब प्रतिदिन आधा समय विद्यालय में रहकर नियमित अध्यापन कार्य भी करेंगे।

फरवरी में ही परीक्षाएं, सत्र पहले होगा समाप्त

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं अब मार्च के बजाय फरवरी–मार्च में आयोजित की जा रही हैं। इससे शैक्षणिक सत्र पहले समाप्त हो रहा है और शिक्षकों के पास पाठ्यक्रम पूरा कराने के लिए सीमित समय रह गया है। ऐसे में विभाग ने यह साफ कर दिया है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई किसी भी कीमत पर प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

आदेश के अनुसार, बीएलओ नियुक्त शिक्षक भी आधे दिवस तक विद्यालय में उपस्थित रहकर कक्षाओं में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे समय की कमी के बावजूद पाठ्यक्रम को संतुलित ढंग से पूरा किया जा सकेगा।

शिक्षण व्यवस्था में बाधा नहीं हो: सख्त निर्देश

सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आना चाहिए। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को सतत निगरानी रखने के आदेश दिए गए हैं। जिला कलक्टरों को अपने-अपने जिलों में इन निर्देशों की प्रभावी पालना सुनिश्चित करने को कहा गया है।

शिक्षा विभाग का भरोसा है कि यदि सत्र में कटौती के बावजूद शिक्षकों की नियमित उपस्थिति, सहभागिता और समन्वय बना रहा, तो विद्यार्थी समय रहते पाठ्यक्रम पूरा कर सकेंगे और परीक्षा की बेहतर तैयारी भी संभव होगी। फिलहाल, यह निर्णय शिक्षा और प्रशासन—दोनों के बीच संतुलन साधने की एक अहम कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।