
new year in kumbhalgarh
कुंभलगढ़. विश्व विरासत में शुमार ऐतिहासिक कुंभलगढ़ आज नव वर्ष की पूर्व संध्या पर किसी सपनों की नगरी की तरह जगमगाने को तैयार है। पहाड़ियों पर बसे इस ऐतिहासिक क्षेत्र में होटल–रिसॉर्ट्स की कतारें रोशनी से नहा चुकी हैं और देश–विदेश से आए हजारों मेहमानों के स्वागत की तैयारियां अपने चरम पर हैं। ठंडी हवाओं के बीच जश्न की गर्माहट, संगीत की धुनें और राजस्थानी मेहमाननवाज़ी—सब मिलकर इस रात को यादगार बनाने वाले हैं।
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भारतपाल सिंह शेखावत के अनुसार 25 दिसंबर से 2 जनवरी तक लगभग सभी होटल और रिसॉर्ट पूरी तरह बुक हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। हेरिटेज सोसायटी के सचिव कुबेर सिंह सोलंकी बताते हैं कि कुंभलगढ़ क्षेत्र में करीब 3,000 कमरे उपलब्ध हैं, जिनमें 9 से 10 हजार पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था है—और इस समय लगभग सभी छोटे-बड़े होटल, रिसॉर्ट पूरी तरह फुल हैं।
नववर्ष की रात यहां सिर्फ कैलेंडर नहीं बदलेगा, बल्कि अनुभव भी नए रंगों में ढलेगा। राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती और दक्षिण भारतीय व्यंजनों की खुशबू से सजी थालियां, खुले आसमान के नीचे कैंप फायर, गाला डिनर, लाइव बैंड, स्टेज शो और पारंपरिक लोकनृत्य, हर होटल में उत्सव का अलग अंदाज़ देखने को मिलेगा। ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए सभी जगह विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि मेहमानों को सुकून और आनंद दोनों मिलें। नेशनल हाईवे 162 ई और राजसमंद से ओलादर तक बेहतर सड़क संपर्क ने चारभुजा, नाथद्वारा और उदयपुर से कुंभलगढ़ की पहुंच आसान कर दी है। पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि इस कनेक्टिविटी ने क्षेत्र में नई ऊर्जा भर दी है और नववर्ष पर इसका असर साफ दिखाई दे रहा है।
नववर्ष की पूर्व संध्या पर कुंभलगढ़ का दुर्ग रोशनी की चमक में एक बार फिर सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करेगा। रंगीन विद्युत सज्जा, थीम डेकोरेशन और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि—यह दृश्य न सिर्फ देखने लायक होगा, बल्कि कैमरों और यादों में हमेशा के लिए कैद हो जाएगा।
पर्यटन विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यही रुझान बना रहा तो आने वाले वर्षों में कुंभलगढ़ उन वैश्विक यात्रा स्थलों में शुमार हो सकता है, जिन्हें दुनिया भर के पर्यटक अपनी ‘लाइफटाइमलिस्ट’ में रखते हैं। कुंभलगढ़ की खासियत सिर्फ इसका भव्य किला नहीं, बल्कि वह अनुभव है—जहां इतिहास की फुसफुसाहट, प्रकृति की शांति और आधुनिक रचनात्मकता का सुंदर संगम मिलता है। यही वजह है कि कुंभलगढ़ अब केवल एक गंतव्य नहीं, बल्कि एक वैश्विक यात्रा-कहानी बनता जा रहा है।
दुर्ग के साथ-साथ 610 वर्ग किलोमीटर में फैला कुंभलगढ़ नेशनल पार्क भी पर्यटकों को रोमांचित कर रहा है। राजसमंद, पाली और उदयपुर जिलों में विस्तृत इस पार्क में पैंथर, भालू, सांभर, नीलगाय, हिरन, जंगली सूअर सहित कई वन्यजीव सहजता से दिखाई दे रहे हैं। पक्षियों और रेप्टाइल प्रजातियों की विविधता भी प्रकृति प्रेमियों को खासा आकर्षित कर रही है। प्रस्तावित टाइगर प्रोजेक्ट को लेकर उम्मीदें और उत्साह दोनों बढ़े हुए हैं।
कुबेर सिंह सोलंकी के अनुसार कुंभलगढ़ दुर्ग इस क्षेत्र का मुख्य पर्यटन केंद्र है, जहां इस वर्ष 4 लाख 5 हजार से अधिक देशी और 9,316 विदेशी पर्यटक पहुंचे। लेकिन दुर्ग देखने के बाद पर्यटक यहां के प्राकृतिक वातावरण, वन्यजीव अभयारण्य और ग्रामीण जीवन में रम जाना चाहते हैं। ऐसे में पर्यटन के विकेंद्रीकरण की आवश्यकता है। परशुराम महादेव, आमज माता, जरगा जी, सूरज कुंड, चारभुजा जी जैसे धार्मिक स्थलों के साथ उदयसिंह शरण स्थली, राणा काकर, पासून, रूपनगर जैसे ऐतिहासिक और हमेर पाल, तलादरी, रिछेड़ जैसे प्राकृतिक स्थलों का विकास किया जाए, तो ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र का समग्र विकास होगा।
आज की रात कुंभलगढ़ में सिर्फ जश्न नहीं होगा, यह एक नई शुरुआत, नई उम्मीदों और नए सपनों की रात होगी, जहां इतिहास, प्रकृति और उत्सव एक साथ मुस्कुराएंगे।
Published on:
31 Dec 2025 12:20 pm
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