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हाथियों का आतंक जारी, एक अद्धविक्षिप्त को कुचल कर मार डाला

(Jharkhand News ) हाथियों के आतंक को (Terror of elephants ) काबू पाने में वन विभाग (Forest department failure ) पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। नई घटना में सिल्ली थाने की सेहदा गांव में जंगली हाथियों ने एक अद्धज़्विक्षिप्त को पैरों से कुचल कर मौत के घाट उतार दिया। सेहदा गांव की घटना से महज दो सप्ताह पूव 18 अगस्त को गोला के जयंतिबेड़ा गांव निवासी सुलेमान अंसारी को हाथियों ने पैरों से रौंदकर उसकी जान ले ली थी।

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हाथियों का आतंक जारी, एक अद्धविक्षिप्त को कुचल कर मार डाला

हाथियों का आतंक जारी, एक अद्धविक्षिप्त को कुचल कर मार डाला

रामगढ़(झारखंड): (Jharkhand News ) हाथियों के आतंक को (Terror of elephants ) काबू पाने में वन विभाग (Forest department failure ) पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। जंगली हाथी जिस तरह आक्रामक होकर ग्रामीणों का अपना शिकार बना रहे हैं, उससे लगता हे वन विभाग ने ग्रामीणों को भगवान भरोसे छोड़ रखा है। नई घटना में सिल्ली थाने की सेहदा गांव में जंगली हाथियों ने एक अद्धज़्विक्षिप्त को पैरों से कुचल कर मौत के घाट उतार दिया। पिछले दो वर्षो में उत्पाती हाथी का दल दर्जन भर ग्रामीणों को कुचल कर मौत के घाट उतार चुका है।

दो सप्ताह पहले एक और को मार डाला

सेहदा गांव की घटना से महज दो सप्ताह पूव 18 अगस्त को गोला के जयंतिबेड़ा गांव निवासी सुलेमान अंसारी को हाथियों ने पैरों से रौंदकर उसकी जान ले ली थी। जयंतिबेड़ा से सेहदा गांव की दूरी महज दो से ढाई किलोमीटर है। बताया जाता है कि अद्र्धविक्षिप्त गांव की गलियों में घूम रहा था। इसी दौरान हाथियों के झुंड ने उस अचानक हमला कर दिया और उसे पैरों से कुचल कर मौत की नींद सुला दिया। वन विभाग ने शव को कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

हाथियों का हमला जारी
गोला वन क्षेत्र में हाथियों और इंसान की लड़ाई अब आम बात हो गई है। जंगल से सटे इलाकों में रोजाना हाथियों के उत्पात मचाने की खबरें आ रही हैं। फसलों व घरों को रौंदेते हुए इंसानों की जान ली जा रही है। जिससे ग्रामीण काफी दहशत में हैं। वन विभाग के पास इस समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं।

भोजन की तलाश में भटकते हैं
हाथी जंगल में रहे और वो गांव की ओर रुख ना करें। इसके लिए वन विभाग को हाथियों के लिए जंगल के अंदर ही खाने पीने का इंतेजाम करना होगा। वन विभाग का मानना है कि हाथी भोजन और पानी की तलाश में जंगल से गांव की ओर रुख करते हैं। ऐसे में अगर जंगल के अंदर ही हाथियों के खाने पीने का इंतजाम कर दिया जाए तो संभव है कि हाथियों के उत्पात पर अंकुश लग जाए। हाथी बांस के पौधों को खाना पसंद करते हैं। ऐसे में वन विभाग जंगलों में बांस के पौधों का विस्तार करने के अलावे जंगल के अंदर छोटे छोटे जलाशयों का निर्माण किया जाय तो गांव की ओर हाथी कम विचरण करेंगे।

खौफ के साए में ग्रामीण
गोला और सिल्ली वन क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। वन विभाग हाथियों के उत्पात पर अंकुश लगाने की दिशा में बेबस दिखाई दे रहा है। जिससे किसानों की खड़ी फसल और जान माल की सुरक्षा हमेशा खतरे में रहता है। जंगलों के समीप रहने वाले लोग हमेशा खौफ के साए में जीवन बसर करने को मजबूर हैं। हाथियों के हमले से घायल औंराडीह गांव के एक युवक की 16 अगस्त को मौत हो गई। 19 अगस्त की रात बाबलंग गांव हाथियों को खदेडऩे के लिए पहुंची हाथी भगाओ दल पर हाथियों ने हमला कर आधा दर्जन को घायल कर दिया।