
'कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो'
रामगढ़(झारखंड): 'कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।' (Jharkhand News ) कोरोना वायरस के इस दौर में लॉक डाउन के चलते वैसे तो प्रकृति ने ( Enviroment ) प्राकृतिक धरोहरों की काफी मरम्मत कर दी है, फिर भी ऐसे पर्यावरण प्रेमी (Tree lover) भी हैं, जिन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य ही प्रकृति की सेवा करना तय कर लिया है। इसी प्रण ने बंजर और वनविहीन हो चुकी भूमि पर पूरा जंगल खड़ा कर दिया। ऐसे ही एक वन एवं पर्यावरण को समर्पित प्रेमी हैं पचास वर्षीय वीरू महतो। जिस उम्र में लोग अपने घर-परिवार और रोजगार की चिंता करते हैं, उसी उम्र से वीरू वनों की चिंता कर रहे हैं।
वन काटने वालों पर कराई कार्रवाई
रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के छोटकी डूंडी ढोठवा निवासी वन प्रेमी वीरू महतो लोगों को जंगल बचाने के लिए इसी तरह से जागरूक कर रहे हैं। वीरू महतो (50) पिछले करीब तीन दशक से जंगल बचाने में जुटे हैं। युवा जीवन में ही वीरू वनों को बचाने से जुड़ गए। छात्र जीवन से ही जंगल बचाओ आंदोलन के हिस्सा बन चुके थे। वीरू को जैसा ही पता चलता कि जंगल में कोई पेड़ काटने आय है तो उससे भिड़ जाते, वन विभाग को ऐसे लोगों के बारे मे सूचित करके जुर्माना करवाते। कई मौकों पर वन और जंगली जीवों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ वन विभाग के साथ मिलकर कानूनी कार्रवाई को अंजाम तक दिया।
661 एकड़ में फैल गया जंगल
वीरू के प्रयासों की बदौलत यह जंगल करीब 661 एकड़ भूमि में फैले इस जंगल ने सघन रूप ले लिया है। वीरू ने न सिर्फ सरकारी वन भूमि मे पेड़ों को जंगल का रूप दिया है बल्कि मुख्यमंत्री जन- वन योजना के तहत अपनी एक एकड़ रैयती भूमि में फलदार वृक्ष लगाये हैं। इसके लिए रामगढ़ वन प्रमंडल तथा बोकारो प्रक्षेत्र ने वर्ष 2016-17 में उन्हें 8 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की थी। जंगल में ही घर बनाकर सपरिवार रहने वाले पर्यावरण प्रेमी वीरू महतो का कहना है कि बचपन में उन्होंने पूरे क्षेत्र को चारों तरफ जंगल से घिरा देखा था जिसमें कई किस्म के जंगली जानवर भी थे।
वन विभाग ने कराए निर्माण कार्य
वन विभाग ने वीरू की लगन और वनों के प्रति प्रतिबद्धता के मद्देनजर इस क्षेत्र में 3.5 किलोमीटर सड़क का निर्माण, पुलिया निर्माण, कुआं, चेकडैम, तालाब व चापाकल लगाया। वन प्रेमी वीरू महतो बताते हैं कि उनका शुरू से ही पेड़- पौधों से काफी गहरा लगाव रहा है. अगर वन नहीं रहा, तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ेगा। वर्षा नहीं होगी। क्षेत्र में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। पर्यावरण का संतुलन ना बिगड़े, इसके लिए जंगलों को संरक्षित करना बेहद जरूरी है।
Published on:
05 Jun 2020 04:57 pm
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