कांग्रेस के आलमगीर आलम ने समझौते की शर्तों के बावजूद पारा शिक्षकों के नियमतीकरण को लेकर नियमावली नहीं बन पाने और पारा शिक्षकों की नौ सूत्री मांग पर चर्चा कराने की मांग की। वहीं मासस के विधायक अरूप चटर्जी की ओर से लाए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड -जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक राहुल पुरवार पर कथित रूप से कमीशन मांगने का मामला उठाया। वहीं भाकपा-माले के राजकुमार यादव ने डी-लिट प्रशिक्षण में 45 प्रतिशत कम अंक लाने वाले 15 हजार पारा शिक्षकों के मानदेय पर रोक लगा देने का मामला उठाया था। विधानसभा अध्यक्ष ने इन तीनों कार्यस्थगन प्रस्ताव को अमान्य कर दिया।
मासस के अरूप चटर्जी ने कार्यस्थगन प्रस्ताव में कहा कि टाटा कंसल्टेंसी के मुख्य कानूनी सलाहकार ने मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें बताया गया है कि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड -जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक राहुल पुरवार राशि भुगतान के एवज में ढ़ाई प्रतिशत कमीशन की मांग करते है। उन्होंने दावा करते हुए कमीशन की राशि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी बांटने की बात कही है। अरूप चटर्जी ने यह भी कहा कि सामान्य रूप से एक विभाग में अधिकारियों का अधिकतम दो वर्ष में तबादला हो जाता है, लेकिन राहुल पुरवार जेबीवीएनएल के एमडी पद पर चार वर्षों से बने हुए है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने में लगे हुए है।
संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने मुख्यमंत्री पर लगे सीधे आरोप का खंडन करते हुए कहा कि किसी को भी बिना साक्ष्य आरोप नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो बात मन में आई, उस पर सदन में आरोप लगा देना उचित नहीं है। इस आरोप को वापस लिया जाना चाहिए। इसके साथ ही सत्तापक्ष के भी कई सदस्य शोर-शराबा करने लगे। सदन में पक्ष-विपक्ष की ओर से जोरदार हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दिया।