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GOOD NEWS रतलाम की बेटी महाराष्ट्र में दे रही कोरोना को मात

locationरतलामPublished: May 26, 2020 11:01:22 am

Submitted by:

Ashish Pathak

महाराष्ट्र में जहां कोरोना के मरीजों की संख्या 50 हजार पार हो चुकी है। वहां रतलाम की बेटी कोरोना वॉरियर की भूमिका निभा रही है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में रतलाम की यह डॉक्टर बेटी दिन-रात कोरोना की टेस्टिंग में जुटी है ताकि कोरोना के खिलाफ जारी जंग जीती जा सके।

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रतलाम. महाराष्ट्र में जहां कोरोना के मरीजों की संख्या 50 हजार पार हो चुकी है। वहां रतलाम की बेटी कोरोना वॉरियर की भूमिका निभा रही है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में रतलाम की यह डॉक्टर बेटी दिन-रात कोरोना की टेस्टिंग में जुटी है ताकि कोरोना के खिलाफ जारी जंग जीती जा सके। रतलाम की यह 27 वर्षीय बेटी शहर के पैलेस रोड क्षेत्र की निवासी है, जो कि वर्तमान में महाराष्ट्र के कोल्हापुरा में अपनी सेवाएं दे रही है। टेस्टिंग के लिए यहां की यह बेटी दिन में करीब 20 घंटे अपनी सेवा देकर कोरोना को मात देने में जी जान से जुटी है।
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रतलाम की बेटी महाराष्ट्र में दे रही कोरोना को मात
रतलाम की 27 वर्षीय डॉ. बानी औझा कोल्हापुर में जारी कोरोना की जंग में फ्रंट लाइन की योद्धा बनी हुई है। बानी को कोल्हापुर में टेस्टिंग टीम में शामिल किया गया है। जहां हर दिन 200 से ज्यादा सेम्पस की टेस्टिंग की जाती है। कोरोना से जंग के दौरान बानी के स्टॉफ के कुछ डॉक्टर्स भी इन दिनों क्वारंटीन हो चुके है। बावजूद इसके रतलाम की यह बेटी कोरोना की इस जंग में 24 घंटे सेवाएं देने के लिए वहां तत्पर है। कोरोना के खतरे को देख पिता ने बानी को रतलाम भी बुलाया लेकिन उसने देश सेवा का समय होने के लिए आने से इनकार कर दिया।
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IMAGE CREDIT: patrika
छह घंटे नसीब नहीं होता पानी
बानी की माने तो एक बार यदि पीपीई किट पहन कर काम पर लग जाते है तो इसे पहनने के बाद डॉक्टर 6 से 8 घंटे तक पानी तक नही पी पाते है। ऐसी विषम परिस्थितियों में गर्मी के इस मौसम में काम करना किसी चैलेंज से कम नहीं है लेकिन अपनों की जान के खातिर उनकी पूरी टीम ने इस भीषण गर्मी को भी मात दे दी है और अब वे कोरोना को हराने के लिए जी जान से जुटे हुए है।
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पूरा हो रहा मकसद
बानी के पिता ओम प्रकाश ओझा पेशे से उपभोक्ता फोरम में सदस्य है और उनकी मां गृहणी है। वे दोनों हर दिन वीडियो कॉल कर अपनी बेटी का हालचाल जानते है। उन्हें अपनी बेटी की बहुत चिंता है लेकिन उसके जज्बे को देखकर वे गर्व महसूस करते रहे है। बानी के पिता की माने तो उन्होने देश सेवा के लिए ही अपनी बेटी को डॉक्टर बनाया था और यह मकसद अब पूरा होता दिखाई दे रहा है।
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