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इस दिन से बदलेगा आपके शहर में वेदर, होगी झमाझम बारिश

locationरतलामPublished: May 18, 2020 12:44:28 pm

Submitted by:

Ashish Pathak

20 जून से 21 अक्टूबर तक का समय वर्षा ऋतु का रहता है। प्राय: 10 जून को मानसून तमिलनाडु सहित पांडिचेरी में सक्रिय हो जाता है। वही 15 -16 जून तक सर्वत्र दक्षिण भारत में मानसून की सक्रियता हो जाती है। दिनांक 20 जून के आसपास मानसून महाराष्ट्र में दस्तक देता है। दिनांक 25 – 26 जून तक मानसून मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, छत्तीसगढ़ के रायपुर, जगदलपुर, राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, कोटा आदि में सक्रिय हो जाता है। लेकिन इस बार एेसा नहीं होगा।

रतलाम. 20 जून से 21 अक्टूबर तक का समय वर्षा ऋतु का रहता है। प्राय: 10 जून को मानसून तमिलनाडु सहित पांडिचेरी में सक्रिय हो जाता है। वही 15 -16 जून तक सर्वत्र दक्षिण भारत में मानसून की सक्रियता हो जाती है। दिनांक 20 जून के आसपास मानसून महाराष्ट्र में दस्तक देता है। दिनांक 25 – 26 जून तक मानसून मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, छत्तीसगढ़ के रायपुर, जगदलपुर, राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, कोटा आदि में सक्रिय हो जाता है। दिनांक 28 – 29 जून तक मानसून दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल-प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर सहित संपूर्ण भारत में सक्रिय हो जाता है। सामान्यतया 22 जून से लगाकर 2 जुलाई तक सर्वत्र भारत में बारिश हो जाती है। लेकिन इस बार एेसा नहीं होगा। इस बार मानसून समय से पहले आएगा व कई शहरों में झमाझम बारिश होगी। इस बार मानसून के साथ भूकंप के योग भी बन रहे है।
मानसून के पहले ही शुरू हो जाएगी भारी बारीश

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रतलाम के वरिष्ठ ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने वेदर अलर्ट के बारे में बताया इस बार श्री संवत 2077 शाके 1942 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या पर प्रतिपदा तिथि दिन रविवार दिनांक जून को रात्रि 11.30 बजे भगवान भुवन सूर्यदेव कुम्भ लग्न में मिथुन राशिस्थ सूर्य चंद्र के समक्ष आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इससे सिंधु, सतलज, गंगा, कृष्णा, कावेरी,गोदावरी, नर्मदा, चंबल, शिप्रा, माही, गंभीर, तवा, ताप्ती सहित कई प्रमुख नदियां उफान पर रहेगी। खतरे के निशान से ऊपर बहकर जन-जीवन हेतु बाधक बनेगी वहीं कुछ जलाशय वाटर लेवल बढ़ जाने के कारण टूटने के कगार पर रहेंगे।
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अनुकूल तथा श्रेष्ठ वर्षा

मध्यप्रदेश के मालवा, पश्चिम- निमाड़, विंध्य,चंबल, पूर्वी-निमाड़ सहित एवं राजस्थान में मेवाड़, मारवाड़, एवं पाकसीमांत राजस्थान में औसत एवं पर्याप्त वर्षा से अनुकूलता बनी रहेगी। इस वर्ष आद्र्रा प्रवेश प्रतिपदा तिथि एवं रविवार को होना वर्षा में कुछ कमी तथा वर्षाऋतु काल में राजविग्रह एवं राजविद्रोह को दर्शाता है। किंतु आद्र्रा-नक्षत्र में ही सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र पर प्रवेश हुआ है। यह बहुत ही अनुकूल योग हैं। ऐसी स्थिति में सभी क्षेत्रों में अनुकूल तथा श्रेष्ठ वर्षा होने के योग प्रदर्शित होते हैं।
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मानसून की सक्रियता इस तरह रहेगी
भारतीय ज्योतिष में भारत मे मानसून को लेकर दो प्रकार से विचार किया जाता है। दक्षिण भारत में सूर्यदेव के मृगशीर्ष नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही लगभग 7 या 8 जून को मानसून सक्रिय हो जाता है, जबकि उत्तर भारत में 20 व 21 जून को सूर्य के आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही मानसून सक्रिय हो जाता है। श्री विक्रम संवत 2077 सन 2020 आषाढ़ कृष्ण पक्ष तिथि पर अष्टमी नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा दिन रविवार दिनांक 7 – 8 जून को रात्रि 12.32 बजे धनु राशिस्थ चंद्र के समक्ष कुंभलग्नोदय में सूर्यदेव का मृगशीर्ष नक्षत्र पर प्रवेश होगा। इसी के साथ ही दक्षिण भारत में मानसून की सक्रियता प्रभावशील हो जाएगी। श्री विक्रम संवत 2077 सन् 2020 आषाढ़ कृष्ण पक्ष तिथि अमावस्या नक्षत्र पर आद्र्रा दिन रविवार दिनांक 21 जून को रात्रि 11.30 बजे मिथुन राशिस्थ चंद्र के समक्ष कुंभलग्नोदय में सूर्यदेव का आद्र्रा नक्षत्र पर प्रवेश होगा। इसी के साथ ही उत्तर भारत में मानसून की सक्रियता प्रभावशाली हो जायेगी।
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इस बार बारिश में होगा यह
श्री संवत 2077 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या परं प्रतिपदा तिथि रविवार दिनांक 21 जून की रात 11.20 बजे भगवान भुवन भास्कर कुंभ लग्नोदय में मिथुन राशिस्थ चंद्र के समक्ष आद्र्रा नक्षत्र पर प्रवेश करेंगे। आद्र्रा प्रवेश लग्न अनुसार कुंभ वायुतत्विय राशि है। तथापि चंद्र जलचर राशि में नहीं है। चंद्र वायुतत्व राशि मिथुन में विद्यमान है। वही चंद्र केंद्र में नहीं है। पाप ग्रह राहु सूर्य से युक्त है। स्वग्रही ग्रह शनि व शुक्र अशुभ है। गुरु व बुध दोनों में से गुरु ही सजल राशि में है। बुध-शुक्र के बीच में सूर्य है। मंगल सूर्य से पीछे हैं। इस कारण वर्षा में अवरोधक योग नहीं है। लग्नेश शनि 12 वे भाव में सजल राशि में गुरु के साथ विद्यमान हैं। चतुर्थ भाव पर गुरु का दृष्टि प्रभाव है व शनि गुरु दोनों ही नीरा नाड़ी में है।
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Weather Alert
IMAGE CREDIT: Patrika
वक्री रहेंगे यह

दिनांक 21 जून से 10 अक्टूबर तक सूर्य सौम्या, नीरा, जला, अमृता, जला, नीरा, एवं सौम्या नाड़ी में भ्रमणशील रहेगा।आद्र्राप्रवेश समय बुध, गुरु, शुक्र व शनि वक्री रहेंगे। लग्न एवं चंद्र दोनों ही वायुतत्व प्रधान राशि में होने से वर्षाऋतु में तेज आंधी चलना, आंधी तूफान के साथ वर्षा होगी। बृहस्पति दो अग्नितत्व प्रधान ग्रह मंगल एवं केतु अधिष्ठित राशि का स्वामी होकर शनि के साथ द्वादशभाव में विद्यमान है। परिणामत: कुछ क्षेत्रों में वर्षा विलंब से होगी, किंतु बहुत ही गहरी होगी। वही वर्षाऋतु में जन-धन की हानि तेजवायु वेग के कारण वृक्षों के टूटने, प्राकृतिक प्रकोप- बाढ़, जल-प्लावन जैसी स्थितियां कुछ क्षेत्रों में बनेगी बनेगी। शुक्र स्वगृही होकर चतुर्थ भाव में निचस्थ बृहस्पति से दृष्ट है। इससे वर्षा में अनिश्चितता के संकेत स्पष्ट विद्यमान है। इससे कुछ राज्यों में खंडवृष्टि के साथ सूखा भी रह सकता हे।
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ओलावृष्टि के साथ वर्षा होगी
दिनांक 8 से 20 जून तक झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, ओडिशा, केरल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, आसाम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि के साथ वर्षा होने की प्रबल संभावना व्याप्त है। कहीं-कहीं बादल, बिजली, गर्जना से जनहानि भी होगी। दिनांक 25 जून से 3 जुलाई तक झारखंड, बिहार, हरियाणा, दिल्ली प्रदेश, राजस्थान, इलाहाबाद, गंगटोक, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम व नागालैंड में भारीवर्षा बादल, बिजली,गर्जना एवं चक्रवात, तूफान या तीव्रवायु वेग से जन-धन की हानि संभावित नजर आ रही है।
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भाद्रपद मास – दिनांक 4 अगस्त से 2 सितंबर तक

इस दौरान रलताम सहित लगभग सर्वत्र भारत में भारीवर्षा होगी। कहीं-कहीं अनवरत वर्षा जारी रहेगी, तो कहीं कहीं एक ही रात- दिन में 16 से 23 इंच तक वर्षा होगी। भारी वर्षा से जनजीवन अस्त-व्यस्त तो कहीं-कहीं आंधी तूफान के साथ वर्षा होगी। नदी नाले उफान पर रहेगे। बाढ़ आदि से विषम परिस्थितियां निर्मित होगी। बादल फटना, बिजली गिरना, तीव्रवायुवेग से वृक्ष टूटेंगे। मंदसौर के गांधीसागर जैसे कई जलाशयों का जलस्तर एकदम बढ़ेगा। पश्चिमी एवं पूर्वी राज्यों में भारी बारिश से तबाही सेना एवं पुलिस प्रशासन राहत कार्य में जुटेंगे। इस दौरान उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, महाराष्ट्र, दादर, नगर, हवेली, सिलवासा, वापी, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल-प्रदेश, तमिलनाडुन केरल,दिल्लीप्रदेश, राजस्थान, मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़ ओडिशा, कर्नाटका, केरल, गोवा, पश्चिमी-बंगाल, मणिपुर, मिजोरम नागालैंड, पांडिचेरी सहित बांग्लादेश, नेपाल, चीन, पाकिस्तान, म्यामार, इराक-ईरान में भी भारीवर्षा एवं हिमपात की संभावना व्याप्त रहेगी। दक्षिणी राज्यों में बाढ़ आदि से भारी जन धन की हानि होगी। यातायात तथा आवागमन अवरुद्ध होगा। जलस्तर – युद्धस्तर से बढ़ेगा जिससे परिस्थितियां विषम होगी।
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आश्विन मास प्रथम
दिनांक 3 सितंबर से 1 अक्टूबर तक आकाशीय घटनाक्रम अनुसार ग्रहयोग स्थितियां पूर्णतया अनुकूलप्रद है। बांग्लादेश,म्यांमार, पश्चिम-बंगाल मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, पूर्वी आसाम, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड, राजस्थान, दिल्ली प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश,सहित की दक्षिण-भारतीय महानगरो– कोलकाता, कटक, भुनेश्वर, हावड़ा, विशाखापट्टनम, चेन्नई, मदुरई, बंगलोर,हैदराबाद,कोचिन आदि में ओलावृष्टि के साथ भारीवर्षा उल्कापात एवं तेजवायु वेग के साथ होगी।
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सतर्क रहना होगा भूकंप से

दिनांक 18 सितंबर से 2अक्टूबर के मध्य भूकंप, भू-कंपन, भूस्खलन, ज्वालामुखी का फटना, भयावह हिमपात, शीतलहर आदि से जन-धन की हानि के साथ राजनेताओं में परस्पर विरोध वाद-विवाद आदि होने के योग बन रहे है। बादलचाल के साथ उत्तरभारत में बूंदाबांदी एवं सामान्य हल्की बारिश छुटपुट होती रहेगी। वही दिल्ली प्रदेश, आंध्रप्रदेश, मणिपुर, छत्तीसगढ़, शिलांग, सिक्किम, उत्तरांचल, हैदराबाद, त्रिपुरा, केरल, कर्नाटका, बेंगलोर, मेघालय, जयपुर, जोधपुर, हरिद्वार, जम्मू,श्रीनगर, गोवा, मुंबई सहित अन्य महानगरों में तेज भारी वर्षा, बादल-बिजली गर्जना के साथ उल्कापात एवं इन्हीं नगरों एवं क्षेत्रों में भूकंप एवं लैंडस्लाइड के प्रबल रूप से योग विद्यमान रहेंगे।
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आश्विन मास 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर
आकाशीय घटनाक्रम अनुसार राजस्थान, बिहार,झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, मिजोरम, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में कहीं-कहीं मौसम साफ रहेगा तो कहीं-कहीं आंधी तूफान के साथ भारी वर्षा होगी। उत्तर-पूर्वी राज्यों उत्तरप्रदेश, उत्तरान्चल, बिहार, झारखंड, आसाम , मेघालय, मिजोरम,राजस्थान, हरियाणा, पंजाब सहित कुछ राज्यों में आंधी तूफान के साथ भारीवर्षा की संभावना रहेगी। वहीं शेष स्थानों में मौसम साफ रहेगा। शीत मे अभिवृद्धि होगी। ठंडक महसूस होगी एवं शीतऋतु का आगमन होगा।
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33 से 90 इंच तक होगी बारिश

कई महानगरों में भूकंप से त्रासदी की स्थिति निर्मित होगी। कुछ स्थानों में सामान्य से अधिक वर्षा होगी। औसत वर्षा 33 से 90 इंच तक होगी। वही दिशा विभाजन अनुसार दक्षिणी एवं पश्चिमी भारत में पर्याप्त एवं गहरी बारिश होगी। अग्निकोण के राज्यों में वर्षा सामान्य से अधिक होगी। नेऋत्य कोण के प्रांतों में सामान्य वर्षा के योग हैं। उत्तरदिशा में कुछ न्यूनता के साथ अत्यधिक बारिश होगी। वायव्य कोण के प्रांतों में वर्षा विकराल रूप धारण कर सकती हैं। ईशान कोण के प्रांतों में तथा नेपाल आदि में वर्षा विलंब के साथ होगी।वही वर्षा में कुछ कमी आयेगी। पूर्वदिशा में वर्षा सामान्य से अधिक होगी। वहीं आंधी-तूफान एवं तेज-वायुवेग के साथ वर्षा होगी।
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