एमसीएच के पीछे की नाली को ठीक करने की बात कलेक्टर ने कहा मच्छर तो सभी को काटते हैं
रतलाम। कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल शुक्रवार को एमसीएच का निरीक्षण करने पहुंची। यहां उन्होंने छत पर चढ़कर पीछे के हिस्से गुजर रही नाली को ठीक करने की बात कही तो अधिकारी कहने लगे कि यह जमीन बीएसएनएल की है। इस पर कलेक्टर ने कहा यहां जो मच्छर पनपेगा वह यह नहीं कहेगा कि एमसीएच के मरीजों को नहीं काटें। भई ये नाली कितनी संकरी है और पानी की निकासी कैसे होगी। यहां पानी जमा होगा तो मच्छर पनपेंंगे और वे यहां भर्ती महिलाओं को बीमार करेंगे। अधिकारी इस बात को सुनकर कहने लगे कि सर यह नाली काफी छोटी है और ऐसी ही है। नाली यहीं से शुरू हो रही है। इस पर कलेक्टर ने कहा पूरे परिसर से बनाकर लाओ। बीएसएनएल की जमीन है और पानी आता है तो मच्छर यह थोड़े ही कहेंगे कि हम एमसीएच में महिला मरीजों को नहीं काटेंगे। वैसे भी प्रसव के बाद बच्चे और महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ये दो टूक शब्द कलेक्टर तन्वी सुंद्रियालय ने मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट (एमसीएच) का निरीक्षण करते हुए कही। उन्होंने सिविल सर्जन डॉ. आनंद चंदेलकर से कहा कि जिला अस्पताल पांच सौ बेड का है तो अब जो प्रतिवेदन भेजा जाए उसमें यह स्पष्ट करें कि कहां कितने बिस्तर की व्यवस्था है और कहां-कहां ओपीडी चल रही है। इसमें कहां कितनी जरुरत किस-किस पद की है और किन-किन उपकरणों की है यह भी साफ लिखा जाए जिससे स्पष्ट हो सके। बाद में उन्होंने जिला अस्पताल पहुंचकर सारी व्यवस्थाओं का फिर से रिव्यू किया।
सबसे ऊपर की मंजिल पर जाकर देखी व्यवस्थाएं
कलेक्टर सुंद्रियालय ने एमसीएच के सबसे ऊपर के हिस्से में जाकर व्यवस्थाएं देखी और निर्देश दिए। इसके बाद बीच की मंजिल में महिलाओं को रखे जाने वाले स्थान, हॉल, उनमेंं रखे जाने वाले पलंग सहित कीचन, बाथरूम, वाशरूम आदि की व्यवस्थाएं स्वयं अंदर तक जाकर देखी। तीसरी मंजिल तक कलेक्टर सुंद्रियाल ने चढ़कर यह व्यवस्थाएं देखी जबकि कुछ अधिकारी इतनी ऊंचाई पर जाने से ही घबरा रहे थे कि कैसे चढ़ेंगे। वापस नीचे आकर उन्होंने परिसर से लगे सुलभ काम्प्लेक्स के पानी की निकासी नहीं होने पर निगम अधिकारियों को मौके पर तलब किया और शाम तक सफाई करके वाट्सएप पर फोटो भेजने के निर्देश दिए।
पानी देख अधिकारी सकते में आ गए
ज्वाइंट वाली जगह पर सबसे ऊपर की मंजिल से नीचे तक भवन में पानी रिस रहा था। कलेक्टर निरीक्षण करने पहुंची तब फर्ष पर पानी बिखरा हुआ था। यह देख अधिकारी भी सकते में आ गए कि पानी भरे फर्श से कलेक्टर कैसे निकलेगी। ऐसे में अधिकारियों ने जहां पानी नहीं था वहां से कलेक्टर को निकलने का निवेदन किया। तब भी कलेक्टर ने पूछ ही लिया कि यह पानी क्यों रिस रहा है तो ठेकेदार के कर्मचारी ने कहा टेस्टिंग चल रही है कि कहां क्या दिक्कत है। इसे हाथों हाथ सुधारा जाएगा। निरीक्षण के दौरान सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर ननावरे, सिविल सर्जन डॉ. आनंद चंदेलकर, आरएमओ डॉ. नरेश चौहान, डॉ. दीप व्यास आदि मौजूद थे।
कलेक्टर को कर दी शिकायत
एमसीएच के निरीक्षण के दौरान ही कलेक्टर सुंद्रियाल को दूरभाष पर हितग्राही ने बताया कि जिला चिकित्सालय में उनकी माताजी का मोतियाबिंद ऑपरेशन होना है, किन्तु समस्या आ रही है। डॉक्टर ऑपरेशन करने को तैयार नहीं है। डॉ. दीप व्यास ने बताया कि मरीज का हाई ब्लड प्रेशर होने के कारण मेडिकल स्पेशलिस्ट की सलाह उपरान्त सर्जरी की जा सकेगी। कलेक्टर तत्काल जिला चिकित्सालय पहुंची तथा हितग्राही और उनके परिजनों को समझाया। सिविल सर्जन डॉ. आनंद चन्देलकर ने मरीज का परीक्षण कर उचित उपचार कराया।
ये भी दिए निर्देश
- एमसीएच में लाइफ लाइन एक्सप्रेस में इलाज के बाद मरीजों को रखा जाने की व्यवस्था की जाए। यहां १०० मरीज रख सकते हैं।
- जिला अस्पताल में प्री ऑपरेटिव मरीजों के लिए व्यववस्था की जाए। यहां से तय हो जाएगा कि किनका ऑपरेशन किया जाना है।
- एमसीएच में पलंग लगा दिए गए हैं और अब इन पर बेड की व्यवस्था करें। इसके लिए जिससे भी बात करना हो जल्द की जाए।
- एमसीएच पहुंच मार्ग बनाने के लिए ठेकेदार को ताकिद किया कि यह काम जल्द पूरा करे और परिसर में पेवर ब्लाक लगाया जाए।
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१५ तारीख तक चालू कर देंगे
१५ जनवरी तक हम इसे पूरी तरह शुरू करने के टारगेट को लेकर चल रहे हैं। हमारे सामने दूसरी कोई चुनौती नहीं है केवल इतना है कि यहां लगने वाले उपकरण कितनी जल्दी आते हैं और लग जाते हैं। पहले दौर में हम यहां मेटरनिटी शुरू कर देंगे। एसएनसीयू और पीआईसीयू की सेंट्रलाइज आक्सीजन लाइन लगने के बाद उसे अगले माह तक शुरू किया जा सकता है। लाइफ लाइन एक्सप्रेस जिले में आ रही है तो उसमें जो मरीज रहेंगे उन्हें भी हम यहां रख सकते हैं इसे लेकर भी तैयारियां की जा रही है। लाइफ लाइन का जिले में आना बड़ी सौगात है और इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ हम जनता को दिलाना चाहते हैं।
तन्वी सुंद्रियाल, कलेक्टर