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नई दिल्ली। अफॉर्डेबल हाउसिंग सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने गुरुवार को नई निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) पॉलिसी की घोषणा कर दी। इसके तहत प्राइवेट बिल्डर्स को निजी जमीन पर भी अफॉर्डेबल आवास बनाने पर प्रति मकान 2.50 लाख रुपए की केंद्रीय सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, नई पॉलिसी में बिल्डर्स के लिए पीपीपी को अपनाने के लिए आठ विकल्प भी दिए गए हैं।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने इस पॉलिसी की जानकारी देते हुए कहा, ‘वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास का लक्ष्य हासिल करने के लिए नई नीति बनाई गई है। इसमें शहरों के नजदीक कम उपयोग हुई या बिना उपयोग पड़ी सरकारी या निजी जमीनों का इस्तेमाल करके सभी के लिए आवास सुनिश्चित करने का प्रावधान है।’ पुरी ने कहा कि सरकारी जमीन पर निजी निवेश के छह विकल्पों समेत आठ पीपीपी विकल्पों को राज्य सरकारों, बिल्डर्स के संगठनों एवं अन्य संबंधित पक्षों से लंबी चर्चा कर तैयार किया गया है ताकि लोगों को अधिक लाभ मिल सके ।
ये हैं 8 पीपीपी विकल्प
(1) निजी निवेश के जरिए बने प्रत्येक अफॉर्डेबल हाउस पर होम लोन में 2.50 लाख रुपए तक की ब्याज सब्सिडी
(2) यदि लाभार्थी होम लोन नहीं लेना चाहता तो भी प्रति मकान 1.5 लाख रुपए की केंद्रीय सहायता
(3) बिल्डर सरकारी जमीन पर घरों को बनाकर सरकारी प्राधिकरणों को सौंप देंगे।
(4) सरकार अपनी जमीन बिल्डरों को अफॉर्डेबल हाउसिंग के लिए देगी। जिससे इसकी लागत निकाली जाएगी।
(5) सरकार द्वारा दी गई एन्यूटी के बदले में बिल्डर मकानों के निर्माण में अपनी पूंजी लगाएंगे।
(6) एन्यूटी के अलावा जरूरत पडऩे पर बिल्डरों को परियोजना लागत का एक हिस्सा अपफ्रंट भुगतान के तौर पर सरकार अपने पास से दे सकती है।
(7) बिल्डर सीधे खरीदारों से सौदा कर अपनी लागत को निकाल सकते हैं।
(8) बिल्डर सरकारी जमीन पर अफॉर्डेबल हाउस बनाने में लगी लागत को घरों को किराए पर देकर भी निकाल सकते हैं।
Published on:
22 Sept 2017 01:45 pm
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