
विचार मंथन : बुरी आदतें जब वे नयी होती है तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, लेकिन पुरानी होने पर इन्हें छोड़ना मुश्किल होता जाता है- भगवान बुद्ध
एक अमीर आदमी अपने बेटे की किसी बुरी आदत से बहुत परेशान था। वह जब भी बेटे से आदत छोड़ने को कहते तो एक ही जवाब मिलता, “अभी मैं इतना छोटा हूं। धीरे-धीरे ये आदत छोड़ दूंगा!” पर वह कभी भी आदत छोड़ने का प्रयास नहीं करता। उन्ही दिनों गांव में भगवान बुद्ध पधारे हुए थे, जब आदमी को उनकी ख्याति के बारे में पता चला तो वह तुरंत उनके पास पहुँचा और अपनी समस्या बताने लगा।
भगवान बुद्ध ने उसकी बात सुनी और कहा, “ठीक है, आप अपने बेटे को कल सुबह बागीचे में लेकर आइये, वहीँ मैं आपको उपाय बताऊंगा। अगले दिन सुबह पिता-पुत्र बागीचे में पहुंचे। भगवान बुद्ध उस बच्चे से बोले, “आइये हम दोनों बागीचे की सैर करते हैं और वो धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। चलते-चलते ही भगवान बुद्ध अचानक रुके और बच्चे से कहा, क्या तुम इस छोटे से पौधे को उखाड़ सकते हो? जी हां इसमें कौन सी बड़ी बात है और ऐसा कहते हुए बच्चे ने आसानी से पौधे को उखाड़ दिया।
फिर वे आगे बढ़ गए और थोड़ी देर बाद भगवान बुद्ध ने थोड़े बड़े पौधे की तरफ इशारा करते हुए कहा, क्या तुम इसे भी उखाड़ सकते हो? बच्चे को तो मानो इन सब में कितना मजा आ रहा हो, वह तुरंत पौधा उखाड़ने में लग गया। इस बार उसे थोड़ी मेहनत लगी पर काफी प्रयत्न के बाद उसने इसे भी उखाड़ दिया। वे दोनों फिर आगे बढ़ गए और कुछ देर बाद पुनः भगवान बुद्ध ने एक गुडहल के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बच्चे से उसे उखाड़ने के लिए कहा। बच्चे ने पेड़ का तना पकड़ा और उसे जोर-जोर से खींचने लगा। पर पेड़ तो हिलने का भी नाम नहीं ले रहा था। जब बहुत प्रयास करने के बाद भी पेड़ टस से मस नहीं हुआ तो वह बच्चा बोला, अरे बाबाजी ये तो बहुत मजबूत है इसे उखाड़ना असंभव है।
भगवान बुद्ध ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, “बेटा, ठीक ऐसा ही बुरी आदतों के साथ होता है, जब वे नयी होती है तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, लेकिन वे जैसे जैसे पुरानी होती जाती है इन्हें छोड़ना मुशिकल होता जाता है। वह बच्चा भगवान बुद्ध की बात समझ गया और उसने मन ही मन सभी बुरी आदतें छोड़ने का निश्चय किया।
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Published on:
19 Sept 2019 06:00 pm
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