
magh purnima
Kalpvas: बता दें कि प्रयागराज संगम तट के पास पौष पूर्णिमा से माघ मेला लगता है। इस दौरान देश भर से हिंदू धर्मावलंबी यहां गंगा किनारे टेंट और पर्णकुटी में रहकर जमीन पर सोते हैं, इंद्रियों पर नियंत्रण करने का कठिन प्रयास करते हैं। एक मीटिंग भोजन करते हैं। ईश्वर की आराधना, आध्यात्मिक उन्नति और आत्मशुद्धि के प्रयास करते हैं।
इस दौरान नियम से सभी एक महीने तक गंगा स्नान और पूजा पाठ, सत्संग में समय बिताते हैं। आज माघ पूर्णिमा का पांचवा बड़ा स्नान पूरा हुआ, अब कल्पवासियों का यहां से जाना शुरू हो जाएगा। हालांकि कुछ कल्पवासी महाशिवरात्रि पर गंगा स्नान कर तब लौटेंगे।
Magh Purnima Snan: पांच फरवरी रविवार को प्रयागराज माघ मेले में गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। रविवार को आसपास के शहरों और गांवों से गंगा स्नान के लिए लोग आए। लोगों के वाहनों से यहां आने और स्नान पूजा के बाद लौटने का सिलसिला देर तक चलता रहा। बड़ों के साथ बच्चे और युवा भी गंगा स्नान, पूजा के लिए यहां पहुंचे थे। इसके चलते प्रयागराज संगम तट पर तिल रखने भर की जगह नहीं थी। हालांकि सुरक्षा के लिए प्रशासन ने बाड़ लगाए थे, ताकि कोई श्रद्धालु गहरे पानी में न जाय।
ऐसे श्रद्धालु जो माघ पूर्णिमा पर संगम तट पर नहीं पहुंच सके, वे अपने शहरों के गंगा घाटों पर पहुंचे और गंगा स्नान के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा पाठ किया। इसको लेकर हरिद्वार से वाराणसी और साहिबगंज आदि शहरों में गंगा तटों पर लोगों की भीड़ रही।
माघ में संगम तट स्नान का महत्व
मान्यता है कि माघ महीने में संगम तट पर गंगा स्नान बहुत ही शुभफलदायी है। इस दौरान कल्पवास से सभी पापों का नाश हो जाता है। यह भी मान्यता है कि माघ मेले में गंगा स्नान के लिए देवता भी वेश बदलकर यहां रहते हैं और पुण्य अर्जित करने के लिए गंगा स्नान जैसे धार्मिक कार्यों को करते हैं। मान्यता है कि माघ मेले में तीन प्रमुख स्नान के दिन गंगा स्नान और पूजा से दस हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है।
Updated on:
05 Feb 2023 01:02 pm
Published on:
05 Feb 2023 12:57 pm
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