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शनि देव की पूजा में भूलकर भी न करें ये गलती, अन्यथा हो सकती है बड़ी हानि

रखें यह 6 अत्यंत जरूरी सावधानियां, वरना... हो सकता है बड़ा नुकसान

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Don't do these things on shani dev puja

Don't do these things on shani dev puja

शनि ग्रह का वैदिक ज्योतिष में बड़ा महत्व है। ज्योतिष में शनि ग्रह को दुख, रोग, आयु, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना गया है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। वहीं तुला राशि शनि की उच्च राशि है, जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है।

शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी माने गए हैं। इसके अलावा शनि तीनों लोकों के न्यायाधीश माने जाते हैं। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करता है।

कर्म के आधार पर दंड के विधान के चलते शनि ग्रह को लेकर नकारात्मक धारणा बनी हुई है। ज्योतिष में भी शनि ग्रह को भले एक क्रूर ग्रह माना जाता है। जिसके कारण लोग इसके नाम से तक भयभीत होने लगते हैं। जबकि ज्योतिष के अनुसार भी शनि पीड़ित होने पर यानि जातक को बुरे कर्मों पर ही नकारात्मक फल देता है। यदि किसी व्यक्ति का शनि उच्च हो और उसके कर्म अच्छे हों तो शनि ही वह ग्रह है जो उसे रंक से राज बना सकता है।

कुल मिलाकर भशनि देव सात्विक और नेकी पर चलने वालों को कभी दंडित नहीं करते, ऐसे में लोग शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार से पूजा अराधना भी करते है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार यदि आप भी शनि पूजा कर रहे हैं, तो यह इसमें कुछ सावधानियां अत्यंत अवश्य है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इनका ध्यान न रहने पर अनजाने में आप शनिदेव को नाराज कर सकते हैं।

: रखें दिशा का ध्यान
शनि देव की पूजा में दिशा का ध्यान रखना जरूरी है। आमतौर पर पूर्व की तरफ मुख कर पूजा की जाती है, लेकिन शनिदेव की पूजा पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर करना चाहिए। इसका कारण यह है कि शनिदेव के पश्चिम दिशा का स्वामी माना गया है।

: जरूरी है स्वच्छता
शनिदेव की पूजा के दौरान सफाई का ध्यान जरुरी है। उनकी पूजा कभी गंदगी भरे माहौल या गंदे कपड़े पहनकर नहीं करना चाहिए।

: न करें तांबे के बर्तन से पूजा
शनिदेव की पूजा के दौरान भूल से भी तांबे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तांबा का संबंध सूर्यदेव से है और सूर्यपुत्र होने के बावजूद शनिदेव सूर्य के परम शत्रु हैं। शनिदेव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।

: शनिदेव की आंखों में न देखें
शनिदेव की पूजा के वक्त उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर कभी प्रार्थना नहीं करनी चाहिए। इतना ही नहीं उनकी आंखों में भी नहीं देखना चाहिए। प्रार्थना के वक्त इन बातों का ध्यान न रखने से उनकी दृष्टि सीधे आप पर पड़ती है और आप अनजाने ही शनिदेव के कोप के शिकार हो जाते हैं।

: बचें इन रंगों से
शनिदेव की पूजा के दौरान नीले या काले रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। लाल रंग या लाल फूल का भी प्रयोग कतई न करें। लाल रंग मंगल का परिचायक है और मंगल भी शनि के शत्रु ग्रह हैं।

: भोग सिर्फ यही लगाएं
शनिदेव को प्रसन्न रखना हो तो प्रत्येक शनिवार उन्हें काले तिल और खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए।

माना जाता है कि अनजाने में की गई गलती से भी शनि देव कुपित हो जाते हैं, और प्रसन्न होकर आशीर्वाद देने की जगह जातक को उनके क्रोध का शिकार होना पड़ता है।

Shani dev Signs : ये संकेत करते हैं शनिदेव के कुपित होने की ओर इशारा...

- आंखों की रोशनी कम हो जाती है और कमर दर्द की समस्या भी पैदा होती है।

- घर निर्माण के समय कोई अशुभ घटना का घटित होना भी शनिदेव के कुपित होने का इशारा है।

- जूते-चप्पलों का बार-बार टूटना और खो जाना भी शनिदेव के कुपित होने का संकेत माना जाता है।

- शनिदेव के पक्ष में न होने से किसी व्यक्ति का स्थानांतरण उसकी इच्छा के विरूद्ध होता है अथवा अचानक नौकरी छूट सकती है।

- इंसान का मन बुरे कार्यों की ओर अग्रसर होना। और बुरी संगति और नशे का शिकार होना।

- जमा की हुई धन-दौलत नष्ट होने लगती है।

- व्यक्ति में आलसीपन पैदा हो जाता है और वह कोई भी कार्य सही तरीके से नहीं कर पाता। जिससे उसे कामयाबी नहीं मिलती।

- शारीरिक रोग के कारण शरीर दुर्बल हो जाता है।

- जमा की हुई धन-दौलत नष्ट होने लगती है।

- व्यापार में सहयोगी द्वारा धोखा देना, कर्ज, लोन और उधार में बढ़ौतरी होना।

- नई खरीदी गई भैंस की मौत हो जाना भी शनिदेव के अशुभ प्रभाव के कारण होता है।