
दुर्गा प्रतिमा विसर्जन
इस कारण दशहरे पर नहीं होगी विदाई
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार मान्यता है कि माता दुर्गा कलश स्थापना के साथ महानवमी की पूजा तक धरती पर रहती हैं। इसके बाद सभी स्वरूप अपने लोक चले जाते हैं। इसके बाद आमतौर पर घर में पूजा करने वाले महानवमी के दिन और मूर्तियां रखने वाले लोग महानवमी के अगले दिन मां दुर्गा को इस प्रार्थना के साथ विदा करते हैं कि अगले साल फिर पधारें और उनके जीवन में खुशहाली लाएं।
लेकिन इस वर्ष दशहरा 24 अक्टूबर मंगलवार को है और मंगलवार के दिन बेटी को विदा नहीं करते हैं। इसलिए मां की विदाई 24 अक्टूबर की जगह महानवमी के दिन ही अक्षत और मंत्र से कर दें। लेकिन घरों में रखे कलश और पंडाल में दुर्गा मूर्ति को स्थान से न हटाएं और 25 अक्टूबर बुधवार को सूर्योदय बाद से दुर्गा मूर्ति और कलश को स्थान से हटाएं। बाद में दुर्गा प्रतिमा को नदी, तालाब, पोखर में विसर्जित कर दें।
महानवमी कब तक और विसर्जन के लिए क्या करें
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की महानवमी तिथि 22 अक्टूबर शाम 07.58 बजे से शुरू हो रही है और यह तिथि 23 अक्टूबर को शाम 05.44 बजे तक रहेगी। उदया तिथि की मान्यता के आधार पर महानवमी 23 अक्टूबर को है। बता दें कि महानवमी के दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात:काल में 06:27 बजे से शाम 05:14 बजे तक रहेगा, जबकि रवि योग पूरे ही दिन है। इसलिए शाम तक भी इस विधि को पूरी कर सकते हैं।
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इस समय करें दुर्गा प्रतिमा विसर्जन
पं. तिवारी के अनुसार महानवमी के दिन आप मां सिद्धिदात्री की पूजा और नवरात्रि का हवन करें। यदि 9 दिन का व्रत हैं तो पूजा के बाद पारण करें और फिर दोपहर में 2 बजे से लेकर दोपहर 03:30 बजे के बीज कभी भी अक्षत और मंत्र से मां दुर्गा की विदाई करें और फिर 25 अक्टूबर को घरों में स्थापित नवरात्रि कलश को स्थान से हटाएं। विधि विधान से मां दुर्गा को विदा करें और उनकी मूर्तियों का विसर्जन करें।
ऐसे करें मां दुर्गा को विदा
1. उल्लास के साथ जैसे प्रतिमा की स्थापना करते हैं, वैसे ही बाजे गाजे के साथ विदा करना चाहिए।
2. मां की विदाई से पहले माता रानी की विधि विधान से पूजा करें और फिर नदी किनारे देवी के सामने अपनी गलतियों के लिए माफी मांगें।
3. फिर गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि, पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च ये मंत्र बोलते हुए प्रतिमा को धीरे-धीरे नदी में प्रवाहित करें।
4. इसके अलावा घटस्थापना में बोए जवारे दुर्गा विसर्जन के दिन परिवार में बांट दें, मान्यता के अनुसार नौ दिन तक पूजा पाठ से इन जवारों में शक्ति व्याप्त हो जाती है। इससे इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि का वास होता है।
Updated on:
24 Oct 2023 11:21 am
Published on:
23 Oct 2023 05:23 pm
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