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Mohini Ekadashi Katha: मोहिनी एकादशी व्रत कथा सुनने से एक हजार गौदान के बराबर पुण्य, कौडिन्य ऋषि ने बताई है इसकी महिमा

वैशाख शुक्ल एकादशी की कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha ) बहुत रोचक है, इसके बारे में युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण ने समझाया था। आइये पढ़ते हैं पूरी कथा।

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Pravin Pandey

Apr 30, 2023

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mohine ekadashi vrat

मोहिनी एकादशी कथाः एक दिन धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि हे केशव, वैशाख शुक्ल एकादशी को किस नाम से जानते हैं और उसकी कथा क्या है, पूजा विधि समेत इसे विस्तार से समझाइये।


इस पर वासुदेव श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि मैं आपको वह कथा सुनाता हूं, जो वशिष्ठजी ने भगवान राम को सुनाई थी। कृष्णजी ने बताया कि रामचंद्र ने ऋषि वशिष्ठ से पूछा कि हे गुरुवर कोई ऐसा व्रत बताइये जो जिससे समस्त दुखों और पापों का नाश होता हो, तब महर्षि वशिष्ठ ने कहा हे राम, वैसे तो आपके नाम से ही सभी दुख और पाप का नाश हो जाता है पर आपके सवाल का जवाब लोगों को रास्ता दिखाएगा।


महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे मोहिनी एकादशी कहते हैं, उसका व्रत सभी दुखों और पापों का नाश करने वाला है। इसकी कथा इस तरह है...
सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम का नगर था, इसमें द्युतिमान नाम के चंद्रवंशी राजा राज्य करते थे। इसी राज्य में धनपाल नाम का वैश्य भी रहता था। वह श्रीहरि का भक्त था, उसने लोगों के लिए अनेक भोजनालय, प्याऊ, कुआं आदि बनवाए थे। उसके पांच पुत्र थे, जिनके नाम सुमना, सद्बुद्धि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्धि थे। इनमें धृष्टबुद्धि पापी था, पितरों को नहीं मानता था और भी बुरे कृत्यों में लिप्त रहता था। उसे धनपाल ने घर से निकाल दिया तो वह अपने गहने बेचकर गुजारा करने लगा, जब सब कुछ खत्म हो गया तो उसके साथियों ने उसका साथ छोड़ दिया। गुजारे के लिए उसने चोरी शुरू कर दिया।

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एक बार राजा के सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया लेकिन धर्मात्मा धनपाल का बेटा होने की जानकारी पर उसे छोड़ दिया गया, लेकिन वह फिर पकड़ा गया। इस पर उसे कारागार में डाल दिया गया, लेकिन कुछ दिनों बाद उसे नगर छोड़कर जाने के लिए कह दिया गया। इस पर वह वन में चला गया और बहेलिया बन गया। एक दिन भूखे प्यासे घूमते-घूमते वह ऋषि कौडिन्य के आश्रम पहुंच गया। इस समय वैशाख मास चल रहा था, ऋषि इस समय नहाकर लौट रहे थे। उनके वस्त्रों के छींटे धृष्टबुद्धि को कुछ अक्ल आ गई, वह हाथ जोड़कर ऋषि के सामने खड़ा हो गया और कहा कि मैंने बहुत पाप किए हैं, इनसे मुक्त होने का बिना खर्च वाला कोई आसान उपाय बताइये।


इस पर ऋषि ने उसे मोहिना एकादशी व्रत करने के लिए कहा, उन्होंने उसे व्रत की विधि भी बताई। इस पर धृष्टबुद्धि ने उसी तरह व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और मृत्यु के बाद गरुड़ पर बैठकर विष्णुलोक को गया। इस व्रत को रखने से मोह भी खत्म होते हैं, इससे श्रेष्ठ कोई व्रत नहीं है। इसकी कथा को भी कहने और सुनने से एक हजार गौदान के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है।

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कल मोहिनी एकादशी

मोहिनी एकादशी व्रत 1 मई को पड़ रहा है। दृक पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 30 अप्रैल रात 8.28 बजे से हो रही है और यह तिथि संपन्न एक मई रात 10.09 बजे हो रही है। इसलिए उदया तिथि में मोहिनी एकादशी व्रत 1 मई को रहेगा।


मोहिनी एकादशी पारण का समयः एकादशी का पारण 2 मई को सुबह 5.47 एएम से 8.23 एएम के बीच होगा।
मोहिनी एकादशी के दिन बन रहे शुभ योगः मोहिनी एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है। यह बेहद शुभ योग माना जाता है, इसका समय 5.47 एएम से 5.51 पीएम तक है। इस योग में किए जाने वाले कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा इस दिन इस तरह कुछ और शुभ योग बन रहे हैं।

अभिजित मुहूर्तः 11.52 एएम से 12.44 पीएम तक
अमृतकालः 10.50 एएम से 12.35 पीएम तक