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आपके भविष्य का प्रीडिक्टर है अंकशास्त्र यानि न्यूमरोलॉजी

अंकज्योतिष एक ऐसी विधा है जिसमें अंकों और ज्योतिष तथ्यों का मेल कराकर इंसानी जीवन की भविष्यवाणी की जाती है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व की जानकारी देने के साथ-साथ उसके जीवन में होने वाली मुख्य घटनाओं की संभावनाओं व अंदेशों को सामने रख देता है।

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Shobha Bhoj

Dec 21, 2021

numerology pridicts possiblities of a man's future

आपके भविष्य का प्रीडिक्टर है अंकशास्त्र यानि न्यूमरोलॉजी

अंकज्योतिष यानि न्यूमरोलॉजी गणित पर आधारित एक ऐसी विधा है जिसमें जातक की जन्मतिथि के आधार पर मूलांक निकालकर व उसके जीवन की घटनाओं का आकलन कर आने वाले भविष्य की जानकारी दी जाती है। इस विधा का गौरव इसी बात से है कि यह मिस्र में 10000 साल पहले आई थी और तभी से यह अस्तित्व में है। भारत के प्राचीन ग्रंथ ‘‘स्वरोदम शास्त्र'' में इसका पूरा विवरण मौजूद है।

पाइथागोरस किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनका कहना था कि ‘‘अंक ब्रहमांड पर राज करते हैं और इन्हीं का संसार में सबसे ज्यादा महत्व है‘‘। अंक ज्योतिष 1 से 9 पर आधारित होता है वहीं ज्योतिष शास्त्र में ग्रह, राशि और नक्षत्र ये तीन तत्व होते हैं। सभी नौ ग्रहों, बारह राशियों और 27 नक्षत्रों के आधार पर अंक और ज्योतिष शास्त्र का मिलान किया जाता है।

विशेष पद्धति पर काम करती है न्यूॅमरोलॉजी
इन नौ अंको को नौ ग्रहों का प्रतिबिंब माना जाता है । हर ग्रह किसी ना किसी अंक से प्रभावी रूप से जुड़ा होता है। व्यक्ति के जन्म के समय उस पर किसी एक नंबर यानि ग्रह का विशेष प्रभाव होता है और वही उसका स्वामी समझा जाता है। यानि किसी का स्वामी बुध होगा तो किसी का शनि। जानने योग्य तथ्य यह है कि इन ग्रहों की स्थिति किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का भी संदेश देती है। व्यक्ति के स्वाभाविक गुण , उसकी सोच , तर्क शक्ति, दर्शन , स्वास्थ्य आदि भी इन ग्रहों और अंकों से परस्पर जुड़े होते हैं।

विशेष पद्धति पर काम करती है न्यूॅमरोलॉजी
इन नौ अंको को नौ ग्रहों का प्रतिबिंब माना जाता है । हर ग्रह किसी ना किसी अंक से प्रभावी रूप से जुड़ा होता है। व्यक्ति के जन्म के समय उस पर किसी एक नंबर यानि ग्रह का विशेष प्रभाव होता है और वही उसका स्वामी समझा जाता है। यानि किसी का स्वामी बुध होगा तो किसी का शनि। जानने योग्य तथ्य यह है कि इन ग्रहों की स्थिति किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का भी संदेश देती है। व्यक्ति के स्वाभाविक गुण , उसकी सोच , तर्क शक्ति, दर्शन , स्वास्थ्य आदि भी इन ग्रहों और अंकों से परस्पर जुड़े होते हैं।

कैसे जाने अपना मूलांक
मूलांक-अमूमन तीन तरीकों से मूलांक को जाना जा सकता है। किसी व्यक्ति की जन्मतिथि के अंकों को क्रमवार जोड़ने से मूलांक निकाल सकते हैं।
भाग्यांक-प्रार्थी की जन्मतिथि,माह और वर्ष को जोड़ने से जो अंक प्राप्त होता है वह उसका भाग्यांक है।
नामांक - किसी व्यक्ति के नाम में छुपे अक्षरों को जोड़ने पर नामांक को निकाला जाता है।

भावी पति-पत्नी के गुणों का होता है मिलान
भावी पति-पत्नी की जन्मतिथियों द्वारा उनका मूलांक निकालकर यह गणना की जाती है कि उनके व्यक्तिगत गुणों में कितनी समानता व कितनी भिन्नताएॅं हैं। यह विधा बताती है कि दोनों के परस्पर संबंध किस प्रकार के होंगे। नए घर का निर्माण करते वक्त भी अंको की गणना करने की परंपरा है।